‘शेख हसीना को वापस बांग्लादेश भेजें’, सजा-ए-मौत के ऐलान के बाद यूनुस सरकार की भारत से मांग


बांग्लादेश इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) ने सोमवार (17 नवंबर 2025) को पूर्व पीएम शेख हसीना को दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई. कोर्ट ने शेख हसीना के दो सहयोगियों पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामुन के खिलाफ भी फैसला सुनाया. बांग्लादेश ने द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि के तहत शेख हसीना और असदुज्जमां खान कमाल को तुरंत ढाका को सौंपने का अनुरोध किया. 

भारत को लेकर क्या बोला बांग्लादेश?

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, “भारत ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के संबंध में बांग्लादेश इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल की ओर से दिए गए फैसले पर ध्यान दिया है. कोर्ट ने फरार अभियुक्त शेख हसीना और असदुज्जमां खान कमाल को जुलाई नरसंहार के लिए दोषी पाया और सजा सुनाई है. मानवता के खिलाफ अपराधों के दोषी इन लोगों को अगर कोई देश शरण देता है तो बहुत ही अमित्रतापूर्ण कार्य होगा और न्याय की अवहेलना मानी जाएगी.”

‘शेख हसीना को वापस भेजे भारत’

बांग्लादेश ने कहा कि हम भारत सरकार से आग्रह करते हैं कि वह इन दोनों दोषियों को बिना किसी देरी के तुरंत बांग्लादेशी अधिकारियों को सौंप दें. इस दौरान यूनुस सरकार ने 2013 के प्रत्यर्पण संधि का भी जिक्र किया दिया. इसमें कहा गया कि दोनों देशों के बीच मौजूदा प्रत्यर्पण संधि के अनुसार दोषियों को बांग्लादेश को सौंपना भारत का अनिवार्य कर्तव्य भी है.

तख्तापलट के बाद भारत आईं शेख हसीना

साल 2024 में स्वतंत्रता संग्राम में शामिल सैनिकों के बच्चों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की घोषणा को लेकर शेख हसीना सरकार को छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध-प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा, जिसने धीरे-धीरे देशव्यापी आंदोलन का रूप अख्तियार कर लिया. प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा भड़क उठी, जिसके चलते शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और भारत भागने के लिए मजबूर होना पड़ा.

शेख हसीना के अपदस्थ होने के बाद मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने आईसीटी का पुनर्गठन किया, जिसने 2024 में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई को लेकर हसीना और अन्य पर मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए मुकदमा चलाया.

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