बांग्लादेश की जमात-ए-इस्लामी ने भारत से अपील की है कि वह पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को वापस भेजे. हसीना 5 अगस्त 2024 से भारत में रह रही हैं. इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल द्वारा उन्हें मौत की सजा सुनाए जाने के बाद जमात ने यह मांग दोहराई है.
‘अच्छा पड़ोसी होने का सबूत दे भारत’- जमात
जमात-ए-इस्लामी के सेक्रेटरी जनरल मिया गोलाम पोरवार ने ढाका के मोघबाजार स्थित पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि अगर भारत खुद को ‘अच्छा पड़ोसी’ और ‘मित्र देश’ मानता है, तो उसका पहला दायित्व है कि वह हसीना को बांग्लादेश वापस भेजे. उन्होंने कहा, ‘जो देश एक भगोड़ी मौत की सजा पाए आरोपी को शरण देता है, वह दरअसल अपराधी के पक्ष में खड़ा होता है. हम मांग करते हैं कि उन्हें तुरंत वापस किया जाए.’
‘ट्रायल पारदर्शी और निष्पक्ष था’- जमात
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए पोरवार ने कहा कि इस मुकदमे पर सवाल उठाने की कोई गुंजाइश नहीं है. उन्होंने दावा किया कि पूरा ट्रायल ‘पारदर्शी, निष्पक्ष और अंतरराष्ट्रीय मानकों’ के अनुसार हुआ है.
शेख हसीना को सुनाई गई मौत की सजा
बांग्लादेश में पिछले साल छात्रों के नेतृत्व में हुए विद्रोह के साथ पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का पतन शुरू हुआ और उन्हें 5 अगस्त, 2024 को देश छोड़ना पड़ा. इसके बाद घटनाओं की एक श्रृंखला शुरू हुई, जिसके तहत अंततः सोमवार को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-बांग्लादेश (आईसीटी-बांग्लादेश) ने उन्हें दोषी ठहराया और उनकी अनुपस्थिति में मौत की सजा सुनाई.
आईसीटी ने शेख हसीना को बताया मुख्य साजिशकर्ता
महीनों तक चले मुकदमे के बाद अपने फैसले में बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने 78 वर्षीय अवामी लीग नेता को हिंसक दमन का ‘मास्टरमाइंड और प्रमुख सूत्रधार’ बताया, जिसमें सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी. पिछले वर्ष पांच अगस्त को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के कारण बांग्लादेश से भागने के बाद से हसीना भारत में रह रही हैं. इससे पहले अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित किया था.
अपनी प्रतिक्रिया में हसीना ने कहा कि यह फैसला एक ‘गैरअधिकृत न्यायाधिकरण द्वारा दिया गया है, जिसकी स्थापना और अध्यक्षता एक अनिर्वाचित सरकार द्वारा की गई है, जिसके पास कोई लोकतांत्रिक जनादेश नहीं है.’
Read More at www.abplive.com