सऊदी अरब के मदीना में हुई एक बस दुर्घटना में 42 भारतीयों की मौत हुई है. जेद्दा स्थित भारतीय मिशन के अनुसार, बस उमरा करने गए भारतीय श्रद्धालुओं को लेकर जा रही थी. इस हादसे में 42 लोगों के मारे जाने की खबर है, वहीं एक शख्स जिंदा बचा है. इस बीच सऊदी अरब में हज और उमरा को लेकर बनाए गए नियम बेहद स्पष्ट हैं. इन नियमों के अनुसार यदि किसी यात्री की मौत मक्का, मदीना या सऊदी अरब के किसी भी हिस्से में तीर्थयात्रा के दौरान हो जाती है तो उसके शव को उसके देश भेजने की अनुमति नहीं होती. यह व्यवस्था वर्षों से लागू है और हर यात्री को यात्रा पर निकलने से पहले इसके बारे में जानकारी दी जाती है.
सऊदी हज कानून यह मानता है कि हज और उमरा धार्मिक यात्रा हैं, कोई बीमा आधारित सरकारी सुविधा नहीं. ऐसे में तीर्थयात्रा के दौरान मौत होने पर सऊदी सरकार की ओर से किसी तरह का मुआवजा नहीं दिया जाता. हां, अगर किसी ने भारत में निजी बीमा कराया हो और उसकी पॉलिसी ऐसे मामलों को कवर करती हो तो उसके आधार पर सहायता मिल सकती है, लेकिन यह प्रक्रिया सऊदी प्रशासन से नहीं है. यह यात्री के देश और बीमा कंपनी के माध्यम से होती है.
हज से पहले हस्ताक्षर किया जाने वाला डिक्लेरेशन फॉर्म
हज और उमरा यात्रियों को एक आधिकारिक फॉर्म पर हस्ताक्षर करने पड़ते हैं. इस फॉर्म में साफ लिखा होता है कि यदि यात्रा के दौरान मौत हो जाए चाहे वह मक्का में हो, मदीना में हो, सऊदी की किसी सड़क पर हो या फिर विमान में तो मृतक का अंतिम संस्कार सऊदी अरब में ही किया जाएगा. परिवार अगर बाद में आपत्ति भी जताए तो भी कानूनी रूप से शव वापस भेजना संभव नहीं होता, क्योंकि यात्री पहले ही इसकी अनुमति दे चुका होता है.
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