देश की राजनीति में पारिवारिक पार्टियों का दबदबा हमेशा से रहा है, लेकिन कई बार ऐसे मौके भी आए हैं जब इन घरानों के भीतर ही टकराव और टूट की घटनाएं सामने आई हैं. ताजा मामला बिहार में लालू परिवार का है. यहां तेजप्रताप को पहले ही पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा गया था. अब बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी की करारी हार के बाद लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने भी पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया है. यह सिर्फ लालू यादव का परिवार की ही कहानी नहीं है, पहले भी यूपी से लेकर हरियाणा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और तेलंगाना तक कई बड़े राजनीतिक घराने अंदरूनी लड़ाइयों से जूझ चुके हैं.
मुलायम सिंह यादव परिवार: अखिलेश बनाम शिवपाल की खींचतान
उत्तर प्रदेश की राजनीति में सबसे चर्चित पारिवारिक विवाद मुलायम सिंह यादव परिवार में देखने को मिला. 2016 में अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच टकराव खुलकर सामने आया. पिता मुलायम सिंह ने कई बार सुलह कराने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी और शिवपाल ने खुद की अलग पार्टी -प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना ली. हालांकि ‘नेताजी’ के निधन के बाद अखिलेश ने चाचा शिवपाल को मना लिया और फिर शिवपाल ने अपनी पार्टी का विलय सपा में कर दिया.
इसके अलावा, मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा यादव ने 2022 में समाजवादी पार्टी छोड़कर बीजेपी जॉइन कर ली थी. अपर्णा ने सदस्यता दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय पर ली, जिससे साफ दिखा कि बीजेपी ने इसे राष्ट्रीय स्तर की उपलब्धि की तरह पेश किया. अपर्णा और उनके पति प्रतीक यादव की अखिलेश यादव से नहीं बनती, यह लंबे समय से सबको पता था. अपर्णा सपा में किसी खास पद पर नहीं थीं, सिर्फ एक चुनाव लड़ा था और तब भी वे बीजेपी नेताओं से घुलती-मिलती दिखती थीं और पीएम मोदी की तारीफ करती थीं.
ओपी चौटाला परिवार: दो भाइयों का राजनीतिक बंटवारा
हरियाणा में चौटाला परिवार की राजनीति लंबे समय से फूट का शिकार है. INLD से टूटकर अजय चौटाला और उनके बेटों ने जननायक जनता पार्टी (JJP) बना ली. दुष्यंत चौटाला डिप्टी सीएम भी बने, जबकि ओपी चौटाला INLD को जिंदा रखने में जुटे रहे. 2018 में चौटाला परिवार में विरासत की लड़ाई शुरु हुई और इसका असर INLD पर भी पड़ा. ओम प्रकाश चौटाला और उनके बड़े बेटे अजय चौटाला अलग हो गए.
अजय ने INLD से अलग होकर जननायक जनता पार्टी (JJP) बनाई. 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में JJP ने 90 में से 10 सीटें जीतीं और अजय के बेटे दुष्यंत चौटाला किंगमेकर बनकर सामने आए. BJP ने JJP के साथ मिलकर सरकार बनाई और दुष्यंत डिप्टी सीएम बने. हालांकि लोकसभा चुनाव में JJP एक भी सीट नहीं जीत पाई, फिर भी गठबंधन चलता रहा. लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव से पहले ही BJP और JJP का गठबंधन टूट गया. इसके बाद मनोहर लाल खट्टर ने इस्तीफा दिया और नायब सिंह सैनी नए सीएम बने. गठबंधन टूटने के बाद दुष्यंत चौटाला को भी डिप्टी सीएम पद छोड़ना पड़ा.
शरद पवार परिवार: महाराष्ट्र में भतीजे की बगावत
साल 2023 में महाराष्ट्र की राजनीति उस समय हिल गई जब शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने NCP तोड़ दी और भाजपा-शिंदे सरकार में उपमुख्यमंत्री बन गए. शरद पवार अब अपनी ‘असली NCP’ बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. दरअसल कई बार सियासी गलियारों में चर्चा हुई कि शरद पवार अपनी बेटी सुप्रिया सुले को पार्टी की कमान सौंपना चाहते हैं, जिसको लेकर अजित पवार खुश नहीं थे.
गांधी परिवार: मेनका गांधी हुईं थी बाहर
संजय गांधी के निधन के बाद उनकी पत्नी मेनका गांधी भी गांधी परिवार से अलग हुई थीं. बाद में वह बीजेपी की टिकट पर कई बार सांसद और केंद्रीय मंत्री भी बनीं. हालांकि 2024 के चुनाव में उन्हें सुल्तानपुर सीट से हार का सामना करना पड़ा. मेनका गांधी के बेटे वरुण गांधी भी बीजेपी की टिकट पर सांसद रह चुके हैं.
ठाकरे परिवार: उद्धव और राज में पुरानी दरार
महाराष्ट्र का ठाकरे परिवार भी दो हिस्सों में बंटा. राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़कर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) बना ली. बाद में 2022 में एक और बड़ी टूट हुई जब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना का बड़ा हिस्सा अलग कर लिया और मुख्यमंत्री बन गए. उद्धव ठाकरे अभी भी अपने गुट को बचाने में जुटे हैं. हालांकि अब राज-उद्धव के बीच एक बार फिर नजदीकी बढ़ रही है.
करुणानिधि परिवार: स्टालिन–अलागिरी के बीच पुराना विवाद
तमिलनाडु में DMK प्रमुख करुणानिधि के बेटों में भी खींचतान रही. एमके स्टालिन को पार्टी का वारिस बनाया गया, जिससे बड़े भाई एमके अलागिरी नाराज रहे. भाईयों के बीच कड़वाहट इतनी बढ़ी कि अलागिरी को पार्टी से ही बाहर कर दिया गया.
KCR परिवार: सत्ता की लड़ाई में फूट की चर्चा
तेलंगाना में जबसे केसीआर की पार्टी विधानसभा का चुनाव हारी है, तबसे उनके परिवार में भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. केसीआर के बेटे केटीआर के हाथ में पार्टी की कमान है. वह अपने पिता के सीएम रहते ही मंत्रिमंडल में शामिल हो चुके थे. उन्होंने अपनी बहन के. कविता को पार्टी से बाहर निकाल दिया, जिसके बाद कविता ने अपनी अलग पार्टी बना ली है.
झारखंड का सोरेन परिवार: सत्ता और नेतृत्व को लेकर तनाव
झारखंड में शिबू सोरेन के परिवार में फूट पड़ी थी. हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन के बीच राजनीतिक मतभेद कई बार खुलकर सामने आए. शिबू सोरेन ने हमेशा परिवार को एकजुट रखने की कोशिश की, लेकिन सत्ता की राजनीति में यह तनाव लगातार दिखता रहा है. दुर्गा सोरेन, हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन तीनों शिबू सोरेन के बेटों के नाम हैं. इनमें से दुर्गा सोरेन की मौत हो चुकी है और उनकी पत्नी सीता सोरेन हैं, जोकि बीजेपी में शामिल हो चुकी हैं और उन्हें बीजेपी ने दुमका सीट से 2024 में लोकसभा चुनाव भी लड़वाया था, जिसमें वह करीब 22 हजार वोटों से हार गई थीं.
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