
हिंदू धर्म में शंख का बहुत ऊंचा स्थान है. पूजा-पाठ, आरती और धार्मिक अनुष्ठानों में शंख की ध्वनि को शुभ और पवित्र माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि शंख की उत्पत्ति समुद्र मंथन के समय हुई थी. भगवान विष्णु को यह अत्यंत प्रिय है, इसलिए उनकी पूजा में शंख का विशेष स्थान होता है.

मान्यता है कि घर में शंख रखने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है. लेकिन वास्तु शास्त्र में इसके कुछ विशेष नियम बताए गए हैं जिन्हें न मानने पर शुभ के स्थान पर अशुभ परिणाम भी मिल सकते हैं.

वास्तु शास्त्र के अनुसार, शंख रखने की सबसे शुभ दिशा ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) मानी गई है. इसे घर के मंदिर या पूजा स्थान के पास रखना चाहिए. इस दिशा में रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है.

शंख को हमेशा साफ-सुथरी जगह पर रखना चाहिए. जब भी शंख बजाएं, उसके बाद उसे साफ पानी से धोकर ही वापस रखें. गंदे या धूल भरे स्थान पर रखने से नकारात्मक ऊर्जा फैल सकती है और घर का माहौल प्रभावित होता है.

वास्तु के अनुसार शंख को कभी भी सीधे ज़मीन पर नहीं रखना चाहिए. पूजा के दौरान इसे किसी साफ कपड़े या छोटे से स्टैंड पर रखा जाता है. शंख देवताओं का प्रतीक माना गया है, इसलिए उसकी पवित्रता बनाए रखना आवश्यक है.

शंख को भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी या बाल गोपाल की मूर्ति के दाहिनी ओर रखना शुभ माना गया है. शंख का खुला भाग हमेशा ऊपर की ओर होना चाहिए. ऐसा करने से घर में सकारात्मक कंपन बढ़ते हैं और लक्ष्मी कृपा बनी रहती है.

घर में दो शंख रखना शुभ माना गया है. एक पूजा के लिए और दूसरा बजाने के लिए. पूजा वाला शंख केवल पूजन में इस्तेमाल होता है, जबकि दूसरा शंख बजाने के लिए रखा जाता है.
Published at : 16 Nov 2025 02:44 PM (IST)
वास्तु शास्त्र फोटो गैलरी
Read More at www.abplive.com