देवता, मनुष्य या राक्षस किस गण से हैं आप? स्वभाव से जानिए इनका असली फर्क!

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प्रत्येक मनुष्य का स्वभाव एक दूसरे से काफी अलग होता है. कोई स्वभाव से प्यारा तो कोई गुस्सैल हो सकता है. ज्योतिष शास्त्र में तीन गणों का जिक्र किया गया है. जिसमें देव, मनुष्य और राक्षस गण शामिल हैं.

ये तीनों ही गण तय करते हैं कि आप कैसा सोचते हैं? दूसरों के साथ आपका व्यवहार कैसा होगा? सही गण को समझे बिना रिश्तों की गहराई को समझ पाना आसान नहीं हैं? गण मिलान से रिश्तों में तालमेल, टकराव और समझदारी की संभावना बढ़ती है. आइए जानते हैं इन तीनों गणों के बारे में.

देव गण का स्वभाव

देव गण में वो लोग आते हैं जिनका स्वभाव शांत, दयालु, सहनशील, धार्मिक, ईमानदार और दूसरों का सम्मान करने वाला हो. इनका मन हमेशा जप-तप, पूजा, सेवा और अध्यात्म में लगा रहता है. इनकी आभा (Aura) आकर्षक होने के साथ सौम्य होती है. 

देव गण स्वभाव की कमजोरी

इनकी सबसे बड़ी कमजोरी ये लोग कभी कभी जरूरत से ज्यादा किसी ओर पर भरोसा कर लेते हैं. इसके अलावा इनमें व्यावहारिकता की कमी होती है. 

अश्विनी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, अनुराधा, श्रवण और रेवती नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग देव गण से आते हैं. 

ऐसे लोगों की सबसे अच्छी बात ये है कि, ये लोग किसी भी तरह के विवाद में सुलह की राह पर जोर देते हैं. कभी भी हिंसा या क्रोध जाहिर नहीं करते हैं. ये सबकी भलाई में विश्वास करते हैं. 

मनुष्य गण का स्वभाव

जो लोग मनुष्य गण में आते हैं, उनका स्वभाव संतुलित, व्यवहारिक, बुद्धिमान और दुनियादारी में माहिर होता है. ये लोग न ज्यादा धार्मिक होते हैं न ही पूरी तरह भौतिक ये लोग पूरी कूटनीति में कुशल होते हैं.

इनकी सबसे बड़ी कमजोरी स्वार्थी और अपने फायदे को प्राथमिकता देते हैं.

भरणी, रोहिणी, आर्द्रा, पूर्व फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा और पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में जन्में लोग मनुष्य गण के होते हैं.

मनुष्य गण में जन्म लेने वाले लोग सफल बिजनेस मैन, नेता या कूटनीतिक सलाहकार बनते हैं. इनके साथ तालमेल साधने के लिए संतुलन और तर्क की आवश्यकता होती है. 

राक्षस गण का स्वभाव

राक्षस गण में जन्म लेने वाले लोगों का स्वभाव शक्तिशाली, आत्मकेंद्रित, निडर, रहस्यमयी होने के साथ साथ आक्रामक हो सकता है. इस गण के लोग नियम को तोड़ने, सत्ताधारी प्रवृत्ति के होते हैं. 

राक्षस गण के लोगों की सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि, इनमें क्रोध, अंहकार और दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं. 

कृत्तिका, अश्लेषा, मघा, चित्रा, विशाखा, मूल, धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग राक्षण गण प्रवृत्ति के होते हैं. 

राक्षस गण के ज्यादातर लोग नेता, योद्धा, जासूस, रणनीतिकार या वैज्ञानिक बनते हैं. ये लोग बागावती किस्म के होते हैं. 

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