अल-फलाह यूनिवर्सिटी से 3-4 महीने छुट्टी पर गायब होते थे व्हाइट कॉलर आतंकी, कभी नहीं मिला नोटिस


अल-फलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले तीन संदिग्ध शिक्षकों डॉ. उमर, डॉ. शाहीन और डॉ. मुजम्मिल को लेकर चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ रही हैं. व्हाइट-कॉलर आतंकी मॉड्यूल से जुड़े होने के शक के बीच यूनिवर्सिटी सूत्रों ने खुलासा किया है कि ये तीनों शिक्षक अक्सर तीन से चार महीने की लंबी छुट्टी पर एक साथ गायब हो जाते थे. यह पैटर्न वर्षों से चलता आ रहा था, लेकिन कभी किसी ने सवाल नहीं उठाया.

सूत्रों के अनुसार, विश्वविद्यालय में आम शिक्षकों और छात्रों को इतनी लंबी छुट्टियां मिलना संभव नहीं था, लेकिन इन तीनों को बिना किसी बाधा के लंबी छुट्टियां दी जाती थीं. हैरानी की बात यह रही कि इन अवकाशों के लिए उनसे कोई लिखित स्पष्टीकरण भी नहीं मांगा जाता था. उनकी महीनों की अनुपस्थिति विश्वविद्यालय प्रशासन के रिकॉर्ड में दर्ज जरूर रहती थी, लेकिन उनके खिलाफ कभी किसी तरह की कार्रवाई या नोटिस जारी नहीं किया गया.

एक साथ छुट्टी पर जाते थे यूनिवर्सिटी

यूनिवर्सिटी सूत्र बताते हैं कि स्थिति तब और संदिग्ध लगने लगी जब देखा गया कि वे तीनों एक साथ छुट्टी पर जाते थे और एक साथ ही वापस आते थे. छुट्टी से लौटने के बाद उन्हें बिना किसी पूछताछ के तुरंत फिर से ड्यूटी पर नियुक्त कर दिया जाता था. यह ढील विश्वविद्यालय की सामान्य प्रक्रिया के बिल्कुल उलट थी, क्योंकि नियमों के मुताबिक यदि कोई कर्मचारी लंबी अवधि तक अनुपस्थित रहता है तो उसे नोटिस देकर स्पष्टीकरण मांगा जाता है और आवश्यकता पड़ने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाती है.

आतंकवादी नेटवर्क से जुड़े थे तीनों आरोपी

जानकारी के अनुसार, अब जब जांच एजेंसियों ने इन तीनों के कथित आतंकवादी नेटवर्क से जुड़े होने की आशंका व्यक्त की है, तब यूनिवर्सिटी की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं. क्या प्रशासन को इनकी गतिविधियों के बारे में कुछ जानकारी थी? क्या इतने लंबे समय तक बिना जांच-पड़ताल के छुट्टियां देना सिर्फ लापरवाही थी या किसी दबाव में निर्णय किया गया.

जांच एजेंसियां अब यूनिवर्सिटी से इन शिक्षकों के रिकॉर्ड, उनकी छुट्टियों का विवरण, विदेश यात्राओं से जुड़े दस्तावेज और वित्तीय लेन-देन की जानकारी मांग रही हैं. अधिकारियों का मानना है कि तीनों शिक्षकों की अचानक और बार-बार लंबी अनुपस्थिति किसी बड़े नेटवर्क से जुड़े होने की ओर संकेत कर सकती है.

सुरक्षा तंत्र पर खड़ा किया बड़ा सवाल

इस मामले ने विश्वविद्यालय प्रशासन की पारदर्शिता और सुरक्षा तंत्र पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. फिलहाल एजेंसियां इन तीनों की गतिविधियों, संपर्कों और यात्रा इतिहास की जांच कर रही हैं. यूनिवर्सिटी ने भी अब प्रशासनिक समीक्षा शुरू कर दी है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में ऐसी किसी भी संदिग्ध गतिविधि को समय रहते रोका जा सके.

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