गरुड़ पुराण में दर्ज आंखों की सेहत के लिए खास पारंपरिक उपाय! जानें प्राचीन अंजन की विधि

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Garuda Puran: हिंदू धर्म में गरुड़ पुराण ग्रंथ का विशेष महत्व है. इस ग्रंथ में जीवन-मृत्यु, धर्म-कर्म और पारंपरिक चिकित्सीय उपायों के बारे में बताया गया है. उन्हीं में से एक उपाय नेत्रों से जुड़ा है. गरुड़ पुराण में आंखों की समस्याओं के उपायों को लेकर जितनी स्पष्ट बातें लिखी गई हैं, उतनी अन्य किसी ग्रंथ में देखने को नहीं मिलती है. 

आज के समय में स्मार्टफोन और टीवी देखने के कारण बड़ों से लेकर बच्चों तक के आंख कमजोर होते जा रहे हैं. गरुड़ पुराण में दर्ज पांरपरिक अंजन से जुड़ा उपाय जो आपकी आंखों की समस्या को खत्म कर वापस से आंखों की चमक बढ़ा सकता है. 

आंखों की समस्या को लेकर गरुड़ पुराण में क्या उपाय?

गरुड़ पुराण के अनुसार, श्रीविष्णु जी शिवजी से कहते हैं कि, बिल्व और नील वृक्ष की जड़ पीसकर बनाए गए अंजन (काजल) को आंखों में लगाने से तिमिरादिक रोग खत्म हो जाता है.

आयुर्वेद में तिमिरादिक एक समूह शब्द है, जिसे आंखों से जुड़े कई तरह के रोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. 

गरुड़ पुराण में दर्ज आंखों की सेहत के लिए खास पारंपरिक उपाय! जानें प्राचीन अंजन की विधि

कुल्ले वाले पानी से आंख धोने का उपाय

इसके अलावा पिप्पली, तगर, हल्दी, आंवला, वच और खदिरद्वारा से बनाई गई बत्ती का अंजन लगाने से आंखों से जुड़ी समस्या दूर होती है. वही जो मनुष्य प्रतिदिन सुबह के समय मुंह में पानी भरकर उस जल से अपने नेत्रों को धोता है, वह आंखों के सभी रोगों से मुक्त हो जाता है.

गरुड़ पुराण में बताई गई ये विधि एक पारंपरिक विधि इसे मेडिकल ट्रीटमेंट के तौर पर इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी जाती है. इस पद्धति का इस्तेमाल प्राचीन काल में आंखों की समस्याओं को शांत करने के लिए किया जाता था.

आंखों की समस्या को हल्के में नहीं लेना मुश्किल में डाल सकता है. किसी भी तरह की नेत्र संबंधी समस्या होने पर डॉक्टरों से परामर्श करना बेहद जरूरी है. ऐसे लोग जिन्हें पारंपरिक उपायों में रुचि हैं, उन्हें इसे सोच समझकर और सावधानी के साथ ट्राई करना चाहिए, लेकिन ये उपाय आधुनिक चिकित्सा का विक्लप बिल्कुल नहीं हैं.

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