Bihar Election Results 2025: बिहार की राजनीति ने 14 नवंबर 2025 में जो करवट ली, उसने पूरे देश को चौंका दिया. 6 और 11 नवंबर को हुए दो चरणों के मतदान के बाद जब आज मतगणना हुई, तो परिणाम सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी चमत्कारिक थे. सवाल अब यह है क्या ये जीत सिर्फ रणनीति की थी, या सच में ग्रहों की चाल ने भाजपा को सिंहासन तक पहुंचाया?
जब आसमान में ग्रह बदल रहे थे, तब धरती पर…
पहला चरण 6 नवंबर को हुआ, उस दिन वृश्चिक लग्न उदित थी. मंगल अपने ही घर में था, और ज्योतिष के अनुसार, जब मंगल स्वगृही होकर सक्रिय होता है, तब संघर्ष से विजय मिलती है. भाजपा की पूरी कैंपेनिंग उसी ‘आक्रामक मंगल’ की तरह थी. सटीक, प्रहारक, और अनुशासित. दूसरी ओर, विपक्ष शुक्र की दशा में चल रहा था. शुक्र बारहवें भाव में था, जो हानि और भ्रम का सूचक है. यही भ्रम महागठबंधन को ले डूबा.
11 नवंबर को जब दूसरा चरण हुआ, तब कुंभ राशि में शनि और चंद्रमा की युति ने स्पष्ट संकेत दिया जनता मन बना चुकी है. शनि अनुशासन का ग्रह है, और भाजपा की राजनीति का यही मूल स्वर रहा ‘कम बोलो, ठोस करो.’ यह वही संयोजन था जिसने 2014 के आम चुनाव में भी सत्ता परिवर्तन कराया था.
मतगणना के दिन चंद्र-केतु युति यानी अचानक मोड़ का संकेत!
14 नवंबर 2025 को मतगणना शुरू होते ही ज्योतिषीय दृष्टि से बड़ा मोड़ आया. उस दिन चंद्रमा केतु के साथ युति में था, जो अचानक परिणाम और अप्रत्याशित जीत का प्रतीक माना जाता है. बिहार के राजनीतिक इतिहास में इस दिन वही हुआ. कई सीटों पर रुझान विपक्ष के पक्ष में जा रहे थे, पर अंतिम चरण में ‘मूड’ पलट गया. ठीक वैसे ही जैसे केतु एक क्षण में दिशा बदल देता है, परिणाम ने सत्ता की राह मोड़ दी.
गुरु (बृहस्पति) उस समय वक्री अवस्था में वृश्चिक राशि में था. यह ग्रह जब वक्री होता है, तो ‘सत्य का पुनः उदय’ करवाता है. इसका अर्थ था कि जनता पिछले दो साल की अस्थिरता से थक चुकी थी, और एक स्थिर नेतृत्व चाहती थी. एनडीए ने वही दिया.
कैसे बना सत्ता का महायोग ?
भाजपा और जद(यू) ने इस चुनाव को सिर्फ जमीन पर नहीं, आसमान पर भी पढ़ा. मंगल की ऊर्जा को उन्होंने ‘युवा मतदाता’ की भाषा में बदला. आक्रोश को संगठन में परिवर्तित किया. शनि की स्थिरता को उन्होंने ‘गवर्नेंस’ के वादे में बदला. नारे नहीं, नीति दी.
और केतु की युति ने विपक्ष की रणनीति को ध्वस्त किया. जहां भ्रम था, वहां भग्नता आई. मतदान प्रतिशत (67% से अधिक) भी ग्रहों के पक्ष में गया. उच्च मतदान प्रायः उस पक्ष को लाभ देता है जो जनता से ‘कनेक्ट’ में हो, और एनडीए ने यह साबित किया कि उनका तालमेल जनता के मन और ग्रहों के संकेत दोनों से मेल खाता है.
ग्रहों की अदालत में विपक्ष की हार
महागठबंधन के लिए राहु का स्थान ‘तृतीय भाव’ में था जो अस्थिरता, आंतरिक विभाजन और प्रचार में भ्रम का प्रतीक है. चुनाव के आखिरी हफ्ते में ठीक यही देखने को मिला. पोस्टर विवाद, सीट बंटवारे में असंतोष और नेतृत्व पर प्रश्न. वहीं भाजपा की कुंडली में गुरु का दृष्टि-संयोग सत्ता के घर पर पड़ रहा था यही ‘विकास-योग’ बना. राजनीतिक विश्लेषक भले कहें कि यह रणनीति की जीत थी, पर ग्रह-गोचर की दृष्टि से यह ‘समय का संयोग’ था, जब आसमान ने जमीन से हाथ मिला लिया.
सितारे झूठ नहीं बोलते, पर उन्हें समझने वाले चाहिए
बिहार का 2025 चुनाव एक उदाहरण बन गया. जब नीति, नेतृत्व और नक्षत्र एक दिशा में हों तो परिवर्तन अवश्य होता है. 6 नवंबर की मंगल-ऊर्जा, 11 नवंबर का शनि-चंद्र संयम, और 14 नवंबर की चंद्र-केतु युति. यह त्रिकोणीय ज्योतिषीय शक्ति भाजपा की विजय पताका बन गई. यह जीत केवल बिहार की नहीं, बल्कि ग्रह-गोचर की ‘टाइमिंग’ की भी थी. बिहार के परिणाम ने फिर साबित किया कि राजनीति केवल धरती पर नहीं, आकाश में भी लिखी जाती है.
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