Tata Motors के डीमर्जर के बाद PV और CV शेयरों की आपकी कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन क्या मानी जाएगी? – tata motors demerger what will be considered your cost of acquisition of pv stocks and cv stocks

टाटा मोटर्स की कमर्शियल व्हीकल्स कंपनी की लिस्टिंग शानदार रही। शेयर 12 नवंबर को डिस्कवर्ड प्राइस से 28.5 फीसदी प्रीमियम के साथ 335 रुपये पर लिस्ट हुए। टाटा मोटर्स ने अपने बिजनेस को दो अलग कंपनियों-टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकर्स और टाटा मोटर्स कमर्शियल व्हीकल्स में बांट दिया है। इससे टाटा मोटर्स के शेयहोल्डर्स के डीमैट अकाउंट में दोनों कंपनियों के शेयर आ गए हैं। सवाल है कि अगर दोनों कंपनियां डिविडेंड का ऐलान करती हैं तो टैक्स के लिहाज से आपके शेयरों की कॉस्ट क्या मानी जाएगी?

पेरेंट कंपनी के नेटवर्थ के ट्रांसफर का फॉर्मूला

नांगिया ग्रुप के पार्टनर अभीत सचदेवा के मुताबिक, इनकम टैक्स एक्ट के तहत किसी कंपनी का डीमर्जर होने पर पेरेंट कंपनी के आपके शेयरों की ऑरिजिनल कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन को डीमर्ज्ड (पुरानी) कंपनी और रिजल्टिंग (नई) कंपनी के बीच बांटा जाना चाहिए। इसके लिए एक फॉर्मूला है। आसान शब्दों में कहा जाए तो इसका मतलब यह है कि अगर पेरेंट कंपनी का नेटवर्थ 100 यूनिट्स मान लिया जाए और नई कंपनी में ट्रांसफर होने वाला एसेट्स 40 यूनिट्स है तो यह रेशियो 40:100 आता है। इसमें नई कंपनी में 40 फीसदी, जबकि पुरानी कंपनी में 60 फीसदी हिस्सेदारी होगी।

पेरेंट कंपनी के एक शेयर पर सीवी कंपनी का एक शेयर एलॉट

टाटा मोटर्स का डीमर्जर इस तरह से हुआ, जिसमें पेरेंट कंपनी के हर शेयरहोल्डर को पेरेंट कंपनी के हर शेयर पर सीवी कंपनी का एक शेयर मिला। टैक्स फ्रेमवर्क में कंपनी के यह ऐलान करने के बाद कि कितना एसेट्स सीवी बिजनेस को ट्रांसफर किया गया, कॉस्ट स्प्लिट रेशियो को अप्लाई करना पड़ता है। मान लीजिए कि सभी एसेट्स और लायबिलिटीज की अकाउंटिंग के बाद पेरेंट कंपनी के नेट एसेट्स का 40 फीसदी सीवी बिजनेस को ट्रांसफर किया गया है और 60 फीसदी पीवी बिजनेस के पास बना रहा है।

ऐसे में Tata Motors के शेयरों की ऑरिजिनल कॉस्ट का 60 फीसदी पीवी बिजनेस के शेयरों की आपकी कॉस्ट हो जाती है और 40 फीसदी सीवी बिजनेस के शेयरों की कॉस्ट हो जाती है।

ग्रैंडफादरिंग का नियम 

इसके बाद ग्रैंडफादरिंग का मसला आता है। 2018 के टैक्स कानून में 31 जनवरी, 2018 तक रखे गए लिस्टेड शेयरों के लिए ‘ग्रैंडफादरिंग’ का नियम आया था। अगर उस तारीख तक शेयर लिस्टेड थे तो कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन के कैलकुलेशन के लिए एक्चुअल पर्चेज प्राइस की जगह आप उस तारीख की फेयर मार्केट वैल्यू (FVM) का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन, अगर आपने 31 जनवरी 2018 से पहले शेयरों को खरीदा है और कंपनी बाद में लिस्ट होती है तो आप इंडेक्सेशन का इस्तेमाल कर सकते हैं।

कैपिटल गेंस का कैलकुलेशन

टाटा मोटर्स के कमर्शियल बिजनेस के शेयर चूंकि 31 जनवरी, 2018 से पहले वजूद में नहीं थे जिससे आप कमर्शियल बिजनेस के शेयरों के लिए सीधे एफएमवी बेनेफिट का इस्तेमाल नहीं कर सकते। इसलिए आप रिजल्टिंग कंपनी के लिए कॉस्ट इंडेक्सेशन के आधार पर प्रपोर्शनेट कॉस्ट (Proportionate Cost) का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप जब पीवी या सीवी बिजनेस के शेयरों को बेचते हैं तो आपके कैपिटल गेंस का कैलकुलेशन हर बिजनेस इकाई की कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन के आधार पर होगा।

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