Delhi Car Blast: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली उस समय दहल गई जब सोमवार शाम लाल किले के करीब ट्रैफिक के बीच एक कार में जबरदस्त धमाका हुआ. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक इस हादसे में 30 से अधिक लोग घायल है, जबकि 10 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है. दिल्ली में कार ब्लास्ट के बाद पूरे देश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है. साथ ही कई भीड़-भाड़ वाले इलाकों को खाली कराकर पेट्रोलिंग तेज कर दी गई है. इस बीच दिल्ली में चांदनी चौक के पास हुए धमाके बाद घटनास्थल पर बम निरोधक टीमें और फॉरेंसिक (FSL) की टीम पहुंच गई है और हादसे की वजहों की जांच में जुट गई है. देश में कहीं भी ऐसी घटनाएं होती हैं तो फॉरेंसिक की टीमों और सुरक्षा एजेंसियों की जिम्मेदारी बेहद अहम हो जाती है. आइए जानते हैं ब्लास्ट के बाद सुरक्षा एजंसियां कैसे करती हैं जांच?
धमाके के बाद कैसे शुरू होती है जांच?
जैसे ही धमाके की सूचना मिलती है, सबसे पहले स्थानीय पुलिस, फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस टीमें घटनास्थल पर पहुंचती हैं. उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी होती है घायलों को बचाना और आग पर काबू पाना. इस दौरान आसपास के इलाके को सील कर दिया जाता है ताकि कोई बाहरी व्यक्ति या मीडिया जांच में दखल न दे सके. चारों ओर धुआं, मलबा और घायल लोगों का दृश्य देखकर दिल दहल जाता है. मेडिकल टीमें घायलों की ट्रायाज करती हैं, यानी तय करती हैं कि किसे तुरंत अस्पताल ले जाना है और किसे वहीं प्राथमिक इलाज देना है. इसके बाद आसपास की इमारतों को खाली करवाया जाता है ताकि किसी और विस्फोट या गिरावट का खतरा न रहे.
कैसे जांच करती है फॉरेंसिक टीम?
जब बचाव कार्य चल रहा होता है, तब सुरक्षा एजेंसियां और EOD यूनिट्स घटनास्थल की हर इंच स्कैन करती हैं. उनका मकसद होता है यह पता लगाना कि कहीं और कोई सेकेंडरी डिवाइस तो नहीं लगा हुआ है. फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स मलबे से धातु के टुकड़े, बारूद के निशान और इलेक्ट्रॉनिक सर्किट्स इकट्ठा करते हैं. इन सबूतों के आधार पर यह पता लगाया जाता है कि विस्फोट में किस प्रकार का विस्फोटक इस्तेमाल हुआ, उसका सोर्स क्या था और ब्लास्ट का पैटर्न क्या कहता है?
IB, NIA, ATS का भी अहम योगदान
इसके बाद IB, NIA, ATS और स्थानीय पुलिस मिलकर यह जांच करते हैं कि धमाका किस मकसद से किया गया और उसके पीछे कौन है. सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल डेटा, बैंकिंग रिकॉर्ड, ट्रैवल डिटेल्स सबकी जांच होती है. देश के दूसरे हिस्सों में भी अलर्ट जारी किया जाता है ताकि अगर कोई नेटवर्क सक्रिय हो तो समय रहते पकड़ा जा सके. इस बीच अफवाहों से बचने के लिए प्रशासन की ओर से तुरंत आधिकारिक बयान और हेल्पलाइन नंबर जारी किए जाते हैं. परिवारों को उनके प्रियजनों की स्थिति बताई जाती है.
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