
भवन निर्माण के लिए वास्तु शास्त्र में कई नियम बताए गए हैं, जिसका पालन करने पर नकारात्मक ऊर्जा का साया भी नए घर पर नहीं पड़ता और घर निर्माण में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं होती है.

भवन निर्माण के लिए वास्तु शास्त्र में घर की नींव को बहुत महत्व दिया गया है. मान्यता है कि, जैसे नींव मजबूत होगी, वैसा ही घर का सौभाग्य और स्थायित्व भी बढ़ेगा. इसलिए घर की नींव डालते समय कुछ विशेष वस्तुओं को उसमें रखना शुभ माना गया है.

चांदी के नाग-नागिन के जोड़े को शेषनाग का प्रतीक माना जाता है, जोकि पृथ्वी को थामे हुए हैं. इसे नींव में डालने से घर की रक्षा होती है. इसका उल्लेख भागवत पुराण में भी मिलता है.

इसी तरह तांबे के कलश को समृद्धि का प्रतीक माना गया है. इसमें गंगाजल, सिक्के, हल्दी, कुमकुम और फूल रखे जाते हैं, जिससे लक्ष्मी और विष्णु का आशीर्वाद मिलता है.

साबुत हल्दी की गांठ, साबुत सुपारी, लोहे की चार कील, तुलसी, पान के पत्ते, पंचरत्न, पंचधातु आदि भी नींव में भरने से घर में पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है.

नींव भरने की वस्तुओं के साथ ही दिशा का भी ध्यान रखें. वास्तु अनुसार, भूमि पूजन हमेशा ईशान कोण में करना चाहिए. भूमि पूजन करने वाले का मुंह पूर्व की ओर होना चाहिए और पूजा कराने वाले पंडित का मुंह उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए.
Published at : 04 Nov 2025 07:06 AM (IST)
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