दुनिया की सबसे बड़ी इन्वेस्टमेंट कंपनी ब्लैकरॉक को एक भारतीय कारोबारी ने करीब 500 मिलियन डॉलर (लगभग 4,200 करोड़ रुपये) का चूना लगा दिया. अमेरिका की ब्रॉडबैंड टेलीकॉम और ब्रिजवॉयस के सीईओ बंकिम ब्रह्मभट्ट पर फ्रॉड करने के आरोप लगे हैं. वे अपनी कंपनियों के जरिए फर्जी बिल बनाकर लोन हासिल करते रहे. ब्लैकरॉक की प्राइवेट क्रेडिट यूनिट HPS इन्वेस्टमेंट पार्टनर्स अब वापस पैसे वसूलने की कोशिश में जुटी है.
इंडिया-मॉरीशस के अकाउंट्स में ट्रांसफर हुए फंड
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रह्मभट्ट की कंपनियों को साल 2020 से इस शर्त पर कर्ज देना शुरू किया था कि ग्राहकों से मिलने वाले बकाया रकम को गिरवी रखा जाएगा. बाद में जांच किया गया तो उसमें ये बिल पूरी तरह झूठे पाए गए. जांच में खुलासा हुआ कि लोन का अमाउंट इंडिया और मॉरीशस के ऑफशोर अकाउंट्स में ट्रांसफर कर दिए गए.
प्लानिंग के तहत फ्रॉड करने के आरोप
ब्लैकरॉक का कहना है कि पूरी प्लानिंग के तहत किया गया है. बंकिम ब्रह्मभट्ट को फाइनेंस करने में फ्रांस का एक बैंक BNP परिबा भी शामिल है. इस बैंक ने ब्रह्मभट्ट के टेलीकॉम कंपनी के अंतर्गत कैरिओक्स कैपिटल और उसकी सहयोगी कंपनियों को दिए गए कर्ज की लगभग आधी राशि फंडिंग की थी.
जब कर्ज देने की प्रक्रिया शुरू हुई तो एचपीएस ने ग्राहकों की जांच के जरिए कैरियोक्स की संपत्तियों की पुष्टि के लिए डेलॉइट को नियुक्त किया था. बाद में वार्षिक ऑडिट के लिए सीबीआईजेड फर्म को बुलाया गया. दोनों में से किसी भी फर्म ने सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है.
कैसे हुआ इतने बड़े फ्रॉड का खुलासा?
एचपीएस कर्मचारी ने जुलाई 2025 में इनवॉइस सत्यापित करने के लिए इस्तेमाल किए गए ग्राहकों के ईमेल में गड़बड़ियां देखी. इनमें से कई पते असली दूरसंचार कंपनियों की नकल करने वाले नकली डोमेन से आए थे. आगे की जांच से पता चला कि ग्राहकों से कथित तौर पर भेजे गए कुछ डॉक्यूमेंट फर्जी थे. एचपीएस के एक कर्मचारी ने बाद में ब्रह्मभट्ट की कंपनियों के गार्डन सिटी, न्यूयॉर्क स्थित कार्यालयों का दौरा किया तो पाया कि परिसर बंद और सुनसान था.
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