गरुड़ पुराण का आयुर्वेदिक रहस्य ‘मधुकसार’ से हर बुखार होगा छूमंतर! जानिए बनाने का तरीका और सावधानियां

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Medicinal secrets in Garuda Purana: हिंदू धर्म के प्रमुख पुराणों में से एक गरुड़ पुराण में केवल मृत्यु और पुनर्जन्म के रहस्यों का ही उल्लेख नहीं, बल्कि इसमें जीवन की रक्षा और सेहत से जुड़े कई आयुर्वेदिक उपायों के बारे में बताया गया है. इन्हीं में से एक नाम मधुकसार का भी है, जिसे बुखार को खत्म करने वाला बेहद चमत्कारिक औषधीय मिश्रण माना गया है.

गरुड़ पुराण के अनुसार मधुकसार पांच चीजों से मिलकर बनाया जाता है. जिसमें मधु (शहद), सैंधा नमक, वच, काली मिर्च और पिपली शामिल है. मधुकसार बनाने के लिए इन 5 चीजों को निश्चित मात्रा में मिलाकर तैयार किया जाता है.

आयुर्वेद में मधुकसार को बुखार नाशक, रोग प्रतिरोधक क्षमता और बलवर्धक योग माना गया है.

मधुकसार कैसे काम करता है?

  • गरुड़ पुराण के अनुसार मधुकसार का मिश्रण शरीर में त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करता है.
  • शहद शरीर को ठंडा रखने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.
  • वच मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम को शांत और स्थिर करता है. 
  • काली मिर्च और पिपली शरीर की पाचन अग्नि को बढ़ाने के साथ विषाक्त तत्वों को बाहर निकालता है. 
  • सैंधा नमक शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स और संतुलन बनाए रखता है. 

इन सभी तत्वों का मिश्रण शरीर की आंतरिक गर्मी को नियंत्रित करने के साथ वायरल और मौसमी बुखार को भी शांत करता है. 

गरुड़ पुराण में मधुकसार का उल्लेख

गरुड़ पुराण के आयुर्वेदिक खंड में मधुकसार का जिक्र देखने को मिलता है. मधु, लवण, वचा, मरीचं च पिप्पली च मिश्रयेत्। तद् मधुकसारः सर्वज्वरहरः स्मृतः

अर्थात्- शहद, सैंधा नमक, वच, काली मिर्च और पिपली का मिश्रण मधुकसार सभी प्रकार के ज्वर (बुखार) का नाश करने वाला है।

मधुकसार को लेकर बरतें सावधानी

इसे केवल गुनगुने पानी या शहद के साथ ही सेवन करने की सलाह दी जाती है. गर्भवती महिलाएं, बच्चे या गंभीर बीमारी वाले लोगों को मधुकसार का सेवन आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के बाद ही लेना चाहिए.

मधुकसार कोई एलोपैथिक दवा नहीं है, बल्कि एक प्राचीन औषधीय है, जिसका उद्देश्य शरीर की ऊर्जा को जाग्रत करना है.

गरुड़ पुराण में मधुकसार को मात्र औषधि ही नहीं, अपितु शरीर और आत्मा की शुद्धि का प्रतीक भी बताया गया है. जो व्यक्ति इसका सेवन करता है, उसे न केवल रोगों से मुक्ति मिलती है, बल्कि त्रिदोष भी सही होता है. 

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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