पृथ्वी के आज बेहद करीब से गुजरेगा 3I/ATLAS, नासा का खुलासा धूमकेतु के टकराने का कितना चांस?

NASA: एक दुर्लभ अंतरतारकीय 3I/ATLAS नाम का धूमकेतु 29 अक्टूबर को पृथ्वी के करीब से गुजरेगा. नासा ने इसकी पुष्टी की है. यह पिंड हमारे सौर मंडल से बाहर बना था. इससे पहले 1017 में ओउमुआमुआ और 2019 में 2I बोरिसोव के बाद तीसरा ज्ञात अंतरतारकीय धूमकेतु है. हालांकि यह धूमकेतु हमारे ग्रह के लिए कोई खतरा नहीं है, लेकिन इसके अतिशयोक्तिपूर्ण प्रक्षेप पथ और रहस्यमय संरचना ने वैश्विक वैज्ञानिक रुचि को बढ़ा दिया है.

1 जुलाई, 2025 को हुई थी खोज

नासा के अनुसार धूमकेतु 3I/ATLAS एक अन्य तारकीय मंडल में बना था और लाखों या अरबों साल पहले अंतरतारकीय अंतरिक्ष में फेंका गया था. 1 जुलाई, 2025 को खगोलविदों ने इसकी खेज की थी. खोजे जाने से पहले यह शून्य में बहता रहा. तब यह सूर्य से लगभग 410 मिलियन मील (670 मिलियन किमी) दूर, बृहस्पति की कक्षा के अंदर था. यह धूमकेतु आकाशगंगा के केंद्र के पास, धनु तारामंडल की दिशा से आ रहा है और वर्तमान में लगभग 137,000 मील प्रति घंटे (221,000 किमी प्रतिघंटा) की गति से यात्रा कर रहा है.

—विज्ञापन—

यह भी पढ़ें- स्पेस स्टेशन से धरती के लिए रवाना हुए शुभांशु शुक्ला, SpaceX ड्रैगन में कुल 4 अंतरिक्ष यात्री

क्या है 3I/ATLAS नाम का मतलब?

चिली के रियो हर्टाडो स्थित नासा द्वारा वित्त पोषित एटलस (क्षुद्रग्रह स्थलीय-प्रभाव अंतिम चेतावनी प्रणाली) दूरबीन ने पहली बार 1 जुलाई को माइनर प्लैनेट सेंटर को अवलोकनों की सूचना दी. तीन एटलस वेधशालाओं और कैलिफ़ोर्निया स्थित कैलटेक की ज़्विकी ट्रांज़िएंट सुविधा के पास एकत्र आंकड़ों ने बाद में इसके पथ और अंतरतारकीय उत्पत्ति की पुष्टि की थी. नासा के वैज्ञानिक इस धूमकेतु को अंतरतारकीय मानते हैं, क्योंकि इसकी कक्षा अतिपरवलयिक है, जिसका अर्थ है कि यह गहरे अंतरिक्ष में वापस जाने से पहले सौर मंडल से केवल एक बार गुज़रेगा. इसके नाम 3I/ATLAS एक विशिष्ट अर्थ है. “3” इसे तीसरी ज्ञात अंतरतारकीय वस्तु के रूप में दर्शाता है. “I” शब्द का अर्थ “अंतरतारकीय” है. “ATLAS” उस खोजी दूरबीन नेटवर्क को संदर्भित करता है. जिसने इसे सबसे पहले देखा था. नासा के आंकड़ों से पता चलता है कि 3I/ATLAS का केंद्रक 5.6 किलोमीटर से बड़ा नहीं है.

—विज्ञापन—

नंगी आंखो से देख पाना मुश्किल

धूमकेतु 3I/ATLAS पृथ्वी से न्यूनतम 1.8 खगोलीय इकाइयों (लगभग 167 मिलियन मील या 270 मिलियन किलोमीटर) की दूरी से गुज़रेगा. यह 30 अक्टूबर को सूर्य के सबसे निकट होगा. लगभग 1.4 AU (210 मिलियन किलोमीटर) की दूरी पर, मंगल की कक्षा के ठीक अंदर. नासा ने पुष्टि की है कि इस पिंड से टक्कर का कोई खतरा नहीं है. हालांकि, नंगी आंखों से इसको देख पाना बहुत कठिन. खगोलविदों का कहना है कि इसकी चमक इसे केवल अंधेरे आसमान में कम से कम 8 इंच के एपर्चर वाले दूरबीनों से ही दिखाई देती है. वर्तमान में, 3I/ATLAS सूर्य के निकट अपनी स्थिति (जिसे सौर संयोजन कहा जाता है) के कारण अवलोकन योग्य नहीं है, लेकिन अनुवर्ती प्रेक्षणों के लिए यह दिसंबर 2025 तक पुनः प्रकट हो सकता है.

यह भी पढ़ें- चीन के डैम से बदल रही पृथ्वी की चाल! हैरान कर देगा नासा का खुलासा

Read More at hindi.news24online.com