रिफाइंड ऑयल खाने से होती हैं इतनी दिक्कतें, खराब हो जाते हैं बॉडी के ये अंग

रिफाइंड ऑयल के प्रोसेस होने का तरीका ही इसे खतरनाक बना देता है. यह धीरे-धीरे शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचाता है और कई गंभीर बीमारियों की जड़ बन जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि रिफाइंड ऑयल क्यों खतरनाक है और यह शरीर के किन-किन हिस्सों को नुकसान पहुंचाता है.

रिफाइंड ऑयल के प्रोसेस होने का तरीका ही इसे खतरनाक बना देता है. यह धीरे-धीरे शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचाता है और कई गंभीर बीमारियों की जड़ बन जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि रिफाइंड ऑयल क्यों खतरनाक है और यह शरीर के किन-किन हिस्सों को नुकसान पहुंचाता है.

यह ऑयल किसी भी नेचुरल सोर्स जैसे सरसों, सोया, सूरजमुखी, मकई या पाम से बनाया जाता है.  लेकिन इसे निकालने के बाद कई बार केमिकल्स, हेक्सेन, और हाई टेंपरेचर पर प्रोसेस किया जाता है ताकि इसका रंग, गंध और स्वाद खत्म हो जाए. इस प्रोसेसिंग में ऑयल के सारे नेचुरल न्यूट्रिएंट्स और विटामिन्स खत्म हो जाते हैं और एक ऐसा ऑयल बना जाता है, जिसमें पोषण कम और नुकसान ज्यादा होता है.

यह ऑयल किसी भी नेचुरल सोर्स जैसे सरसों, सोया, सूरजमुखी, मकई या पाम से बनाया जाता है. लेकिन इसे निकालने के बाद कई बार केमिकल्स, हेक्सेन, और हाई टेंपरेचर पर प्रोसेस किया जाता है ताकि इसका रंग, गंध और स्वाद खत्म हो जाए. इस प्रोसेसिंग में ऑयल के सारे नेचुरल न्यूट्रिएंट्स और विटामिन्स खत्म हो जाते हैं और एक ऐसा ऑयल बना जाता है, जिसमें पोषण कम और नुकसान ज्यादा होता है.

रिफाइंड ऑयल में ट्रांस फैट और ओमेगा-6 फैटी एसिड की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. ये तत्व हमारे शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ाते हैं और अच्छा कोलेस्ट्रॉल घटाते हैं. इससे दिल की नसों में ब्लॉकेज बनने लगता है और धीरे-धीरे हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि रिफाइंड ऑयल का ज्यादा सेवन, सिगरेट पीने जितना ही हानिकारक हो सकता है.

रिफाइंड ऑयल में ट्रांस फैट और ओमेगा-6 फैटी एसिड की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. ये तत्व हमारे शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ाते हैं और अच्छा कोलेस्ट्रॉल घटाते हैं. इससे दिल की नसों में ब्लॉकेज बनने लगता है और धीरे-धीरे हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि रिफाइंड ऑयल का ज्यादा सेवन, सिगरेट पीने जितना ही हानिकारक हो सकता है.

इसमें मौजूद हानिकारक केमिकल्स और अनहेल्दी फैट्स ब्रेन सेल्स की मेम्ब्रेन को नुकसान पहुंचाते हैं. इससे दिमाग की काम करने की ताकत कम हो जाती है और डिप्रेशन, स्ट्रेस, मेमोरी लॉस जैसी समस्याएं बढ़ने लगती हैं.अगर बच्चे या बुजुर्ग लंबे समय तक रिफाइंड ऑयल खाते रहें तो उनकी मानसिक क्षमता और फोकस पर असर पड़ सकता है.

इसमें मौजूद हानिकारक केमिकल्स और अनहेल्दी फैट्स ब्रेन सेल्स की मेम्ब्रेन को नुकसान पहुंचाते हैं. इससे दिमाग की काम करने की ताकत कम हो जाती है और डिप्रेशन, स्ट्रेस, मेमोरी लॉस जैसी समस्याएं बढ़ने लगती हैं.अगर बच्चे या बुजुर्ग लंबे समय तक रिफाइंड ऑयल खाते रहें तो उनकी मानसिक क्षमता और फोकस पर असर पड़ सकता है.

रिफाइंड ऑयल में कैलोरी और ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. ये शरीर में इंसुलिन रेसिस्टेंस बढ़ा देते हैं, जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल में नहीं रहता. लंबे समय में यही चीज मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज और फैटी लिवर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनती है. जो लोग तले-भुने खाने या जंक फूड ज्यादा खाते हैं, उनमें ये खतरा और भी बढ़ जाता है.

रिफाइंड ऑयल में कैलोरी और ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. ये शरीर में इंसुलिन रेसिस्टेंस बढ़ा देते हैं, जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल में नहीं रहता. लंबे समय में यही चीज मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज और फैटी लिवर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनती है. जो लोग तले-भुने खाने या जंक फूड ज्यादा खाते हैं, उनमें ये खतरा और भी बढ़ जाता है.

इस ऑयल में मौजूद फ्री रेडिकल्स और केमिकल्स लिवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं. लिवर को ऑयल को प्रोसेस करने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है, जिससे फैटी लिवर और लिवर इन्फ्लेमेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं. साथ ही ये  टॉक्सिन किडनी को भी प्रभावित करते हैं और शरीर में टॉक्सिन्स का जमाव बढ़ाते हैं.

इस ऑयल में मौजूद फ्री रेडिकल्स और केमिकल्स लिवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं. लिवर को ऑयल को प्रोसेस करने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है, जिससे फैटी लिवर और लिवर इन्फ्लेमेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं. साथ ही ये टॉक्सिन किडनी को भी प्रभावित करते हैं और शरीर में टॉक्सिन्स का जमाव बढ़ाते हैं.

जब रिफाइंड ऑयल को बार-बार गर्म किया जाता है, तो उसमें फ्री रेडिकल्स बनते हैं. ये फ्री रेडिकल्स शरीर में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस पैदा करते हैं, जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं. यही कारण है कि ज्यादा तले हुए खाने से ब्रेस्ट, कोलन और स्किन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.

जब रिफाइंड ऑयल को बार-बार गर्म किया जाता है, तो उसमें फ्री रेडिकल्स बनते हैं. ये फ्री रेडिकल्स शरीर में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस पैदा करते हैं, जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं. यही कारण है कि ज्यादा तले हुए खाने से ब्रेस्ट, कोलन और स्किन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.

Published at : 29 Oct 2025 07:02 PM (IST)

Read More at www.abplive.com