Why Japanese live longer than Indians: भारतीयों से ज्यादा क्यों होती है जापानियों की उम्र? रोजाना की आदतों में ये बदलाव किए तो 15 साल बढ़ जाएगी जिंदगी

जापानी लोग खाने पकाने में ज्यादातर पानी का इस्तेमाल करते हैं. उबालना, स्टीम करना और हल्की आंच पर पकाना उनकी रसोई का हिस्सा है. इससे पोषक तत्व सुरक्षित रहते हैं और खाना हल्का और आसानी से पचने वाला बनता है. वहीं भारत में तला-भुना और तेलयुक्त खाना ज्यादा होता है, जो लंबे समय में हार्ट और डाइजेशन सिस्टम पर असर डालता है.

जापानी लोग खाने पकाने में ज्यादातर पानी का इस्तेमाल करते हैं. उबालना, स्टीम करना और हल्की आंच पर पकाना उनकी रसोई का हिस्सा है. इससे पोषक तत्व सुरक्षित रहते हैं और खाना हल्का और आसानी से पचने वाला बनता है. वहीं भारत में तला-भुना और तेलयुक्त खाना ज्यादा होता है, जो लंबे समय में हार्ट और डाइजेशन सिस्टम पर असर डालता है.

उनकी डाइट भी भारतीयों से काफी अलग है. जापानी खाने में मछली, हरी सब्जियां और किण्वित चीजें जैसे मिसो और अचार बड़ी मात्रा में शामिल होते हैं. इससे शरीर को ओमेगा-3 फैटी एसिड और अच्छे बैक्टीरिया मिलते हैं जो हार्ट और किडनी की सेहत को मजबूत बनाते हैं. इसके उलट भारत में पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फूड्स तेजी से बढ़े हैं, जिससे संतुलित खानपान का कल्चर धीरे-धीरे गायब हो गया है.

उनकी डाइट भी भारतीयों से काफी अलग है. जापानी खाने में मछली, हरी सब्जियां और किण्वित चीजें जैसे मिसो और अचार बड़ी मात्रा में शामिल होते हैं. इससे शरीर को ओमेगा-3 फैटी एसिड और अच्छे बैक्टीरिया मिलते हैं जो हार्ट और किडनी की सेहत को मजबूत बनाते हैं. इसके उलट भारत में पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फूड्स तेजी से बढ़े हैं, जिससे संतुलित खानपान का कल्चर धीरे-धीरे गायब हो गया है.

खाने की मात्रा को लेकर भी जापानी सावधान रहते हैं. वहां

खाने की मात्रा को लेकर भी जापानी सावधान रहते हैं. वहां “हारा हाची बू” की परंपरा है यानी पेट को सिर्फ 80 प्रतिशत भरने तक खाना. इससे ओवरईटिंग नहीं होती और शरीर पर अतिरिक्त बोझ भी नहीं पड़ता. भारत में भी पहले धीरे-धीरे खाने और संतुलित मात्रा का कल्चर था, लेकिन अब भागदौड़ भरी जिंदगी में यह आदत लगभग खत्म हो गई है.

शारीरिक गतिविधि भी उनकी जिंदगी का हिस्सा है. पैदल चलना, साइकिल चलाना और ग्रुप एक्टिविटीज वहां आम बात है. इसी वजह से उम्र बढ़ने पर भी उनके शरीर मजबूत रहते हैं. एक हालिया स्टडी बताता है कि भारत की लगभग आधी वयस्क आबादी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की तय की गई शारीरिक सक्रियता की गाइडलाइन को पूरा नहीं करती.

शारीरिक गतिविधि भी उनकी जिंदगी का हिस्सा है. पैदल चलना, साइकिल चलाना और ग्रुप एक्टिविटीज वहां आम बात है. इसी वजह से उम्र बढ़ने पर भी उनके शरीर मजबूत रहते हैं. एक हालिया स्टडी बताता है कि भारत की लगभग आधी वयस्क आबादी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की तय की गई शारीरिक सक्रियता की गाइडलाइन को पूरा नहीं करती.

खाने का टाइम और नींद भी फर्क पैदा करते हैं. जापान में लोग रात का खाना जल्दी और हल्का खाते हैं, जिससे नींद अच्छी आती है और मेटाबॉलिज्म दुरुस्त रहता है. भारत में ज्यादातर परिवार देर से और भारी खाना खाते हैं, जिससे पाचन गड़बड़ होता है और नींद भी प्रभावित होती है.

खाने का टाइम और नींद भी फर्क पैदा करते हैं. जापान में लोग रात का खाना जल्दी और हल्का खाते हैं, जिससे नींद अच्छी आती है और मेटाबॉलिज्म दुरुस्त रहता है. भारत में ज्यादातर परिवार देर से और भारी खाना खाते हैं, जिससे पाचन गड़बड़ होता है और नींद भी प्रभावित होती है.

दरअसल, लंबी उम्र किसी किस्मत का खेल नहीं है. यह हमारी रोजमर्रा की आदतों का नतीजा है. जापानी लोग अनुशासन और संतुलन से जीते हैं. उनकी छोटी-छोटी आदतें जैसे हल्का खाना, समय पर सोना और रोजाना सक्रिय रहना ही उनकी लंबी और स्वस्थ जिंदगी का असली राज हैं.

दरअसल, लंबी उम्र किसी किस्मत का खेल नहीं है. यह हमारी रोजमर्रा की आदतों का नतीजा है. जापानी लोग अनुशासन और संतुलन से जीते हैं. उनकी छोटी-छोटी आदतें जैसे हल्का खाना, समय पर सोना और रोजाना सक्रिय रहना ही उनकी लंबी और स्वस्थ जिंदगी का असली राज हैं.

Published at : 28 Oct 2025 06:12 PM (IST)

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