सुप्रीम कोर्ट की फटकार! मुंबई में पेड़ कटाई पर रोक, महाराष्ट्र सरकार से जवाब तलब


मुंबई में प्रतिपूरक वनरोपण के खराब कामकाज से नाखुश उच्चतम न्यायालय ने सोमवार (27 अक्तूबर 2025) को महाराष्ट्र सरकार को चेतावनी दी कि वह मुंबई मेट्रो रेल और गोरेगांव-मुलुंड लिंक रोड (GMLR) जैसी परियोजनाओं के लिए पेड़ों की कटाई की सभी पूर्व अनुमतियां रद्द कर देगा. शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वह सभी हितधारकों के साथ बैठक करें और एक ठोस प्रस्ताव लेकर आएं कि यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं कि प्रतिपूरक वनरोपण का अक्षरश कार्यान्वयन किया जाए.

प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने राज्य के शीर्ष अधिकारी को 11 नवंबर तक या उससे पहले हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया.पीठ को जब यह बताया गया कि प्रतिपूरक वनरोपण पर उचित ध्यान नहीं दिया गया है, तो उसने नाखुशी जाहिर की. पीठ ने कहा कि “देश के विकास” और मुंबई जैसे शहरों में पारिस्थितिकी के संरक्षण के बीच संतुलन बनाना होगा. जजो की बेंच बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) की एक नयी याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें जीएमएलआर परियोजना के लिए प्रतिपूरक वनरोपण के बदले पेड़ों को गिराने की अनुमति मांगी गई थी. शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को नगर निकाय के वृक्ष प्राधिकरण को परियोजना के लिए 95 पेड़ों की कटाई की अनुमति दे दी थी. शुरुआत में बीएमसी के वृक्ष प्राधिकरण की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि GMLR परियोजना के लिए 1,000 से अधिक पेड़ों को गिराए जाने की जरूरत है.

पौधे दम तोड़ रहे हैं- गोपाल शंकरनारायणन

रोहतगी ने कहा कि इनमें से 632 पेड़ों को प्रतिरोपित किया जाएगा और 407 पेड़ों को स्थायी रूप से काटना होगा. पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे कार्यकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने आरोप लगाया कि प्रतिपूरक वनरोपण एक दिखावा है, जिसके तहत एक फुट ऊंचे पौधे लगाए जा रहे हैं और कम से कम छह महीने तक उनकी उचित देखभाल नहीं की जा रही है. शंकरनारायणन ने कहा, “इससे ऐसी स्थिति पैदा हो गई है कि ये पौधे दम तोड़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (MMRCL) ने प्रतिपूरक वनरोपण के लिए संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान (SGNP) से वन भूमि का एक टुकड़ा लिया है. शंकरनारायणन ने कहा कि आश्चर्यजनक बात यह है कि एमएमआरसीएल ने प्रतिपूरक वनरोपण का काम एसजीएनपी प्राधिकारियों को दे दिया है.

बंजर वन भूमि का इस्तेमाल

प्रधान न्यायाधीश गवाई ने कहा, “अगर बंजर वन भूमि को प्रतिपूरक वनरोपण के लिए चुना जाता है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है.” हालांकि, उन्होंने इस बात पर नाखुशी जताई कि MMRCL, जिसे अपनी परियोजनाओं के लिए पेड़ों को गिराने की अनुमति दी गई थी ने यह काम SJNP अधिकारियों को सौंप दिया है. पीठ ने इस तथ्य पर भी गौर किया कि एक फुट ऊंचे पौधे लगाए जा रहे हैं. उसने कहा कि इन महत्वपूर्ण उपायों को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए, क्योंकि परियोजनाओं के महत्व को देखते हुए खर्च मामूली है. फिलहाल, पीठ ने BNP को जीएमएलआर परियोजना के लिए पेड़ गिराने की अनुमति नहीं दी है और कहा है कि अब इस मामले पर 11 नवंबर को सुनवाई होगी.

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