आज के समय में कई लोग फिटनेस और हेल्दी रहने के लिए ओवर-द-काउंटर सप्लीमेंट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ सप्लीमेंट्स आपकी हड्डियों के अंदर मौजूद बोन मैरो को नुकसान पहुंचा सकते हैं. बोन मैरो हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि यह रेड ब्लड सेल्स, व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स बनता है. यह कोशिकाएं हमारे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने, बीमारियों से लड़ने और ब्लड को जमाने में मदद करती है. वहीं जब बोन मैरो सही तरह से काम नहीं करता और इन कोशिकाओं की संख्या कम हो जाती है तो इसे बोन मैरो फैलियर कहा जाता है. ऐसे में चलिए अब यह जानते हैं कि सप्लीमेंट से कैसे बोन मैरो फेलियर हो जाता है.
सप्लीमेंट से कैसे होता है बोन मैरो फेल?
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि कुछ टेस्टोस्टेरोन और मेटाबॉलिज्म बढ़ाने वाले सप्लीमेंट्स लंबे समय तक या ज्यादा मात्रा में लेने से लिवर और बोन मैरो दोनों को प्रभावित कर सकते हैं. लिवर को हुए नुकसान के कारण बोन मैरो सही से ब्लड सेल्स का निर्माण नहीं कर पाता है, जिससे शरीर में थकान, कमजोरी और बार-बार संक्रमण जैसी समस्या होने लगती है. वहीं इससे होने वाली प्लेटलेट्स की कमी की वजह खून जमना भी मुश्किल हो जाता है और चोट लगने पर खून ज्यादा समय तक बह सकता है, इस वजह से बोन मैरो फैलियर भी हो सकता है.
बोन मैरो फेलियर के लक्षण
बोन मैरो फेलियर के प्रमुख लक्षणों में लगातार थकान, कमजोरी, स्किन का पीला पड़ना, बार-बार संक्रमण और सांस लेने में कठिनाई शामिल है. शुरुआती दौर में यह सामान्य थकान या कमजोरी के रूप में दिखाई दे सकता है. लेकिन अगर समय पर इलाज न हो तो यह समस्या गंभीर बीमारी का संकेत बन सकती है.
सप्लीमेंट्स के अलावा बोन मैरो फेलियर के अन्य कारण
सप्लीमेंट्स के अलावा इस बीमारी के अन्य कारणों में जन्म से मिली बीमारियां, कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी, ऑटोइम्यून रोग और पोषण की कमी शामिल है. जन्म से कुछ लोगों की बोन मैरो की क्षमता कमजोर होती है. वहीं कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी के दौरान बोन मैरो कोशिकाएं भी प्रभावित होती है. इसके अलावा शरीर का इम्यून सिस्टम कभी-कभी गलती से बोन मैरो पर हमला कर देता है, जिससे यह समस्या और बढ़ सकती है.
बोन मैरो फेलियर से कैसे करें बचाव?
बोन मैरो से बचाव को लेकर डॉक्टर सलाह देते हैं कि किसी भी सप्लीमेंट्स को लेने से पहले एक्सपर्ट्स की सलाह लेना जरूरी है. अगर शरीर में लगातार थकान, कमजोरी या बार-बार संक्रमण जैसे लक्षण नजर आए तो तुरंत मेडिकल जांच करानी चाहिए. इसके अलावा संतुलित आहार और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर भी इस गंभीर समस्या से बचाव किया जा सकता है.
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