Shani Pradosh Vrat: भारत की धार्मिक परंपरा में प्रदोष व्रत सदैव से अद्वितीय माना गया है. विशेषकर जब यह शनिवार को पड़ता है, तो इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है. 4 अक्टूबर 2025 का यह दिन ऐसा ही अद्भुत संयोग लेकर आया है. आज का व्रत केवल साधारण उपासना नहीं, बल्कि शास्त्रों में इसे एक कर्म-रीसेट का अवसर बताया गया है.
प्रदोष व्रत और शनि का संगम
प्रदोष काल वह पवित्र घड़ी है जब दिन और रात्रि के संधिकाल में देवता विशेष रूप से जाग्रत माने जाते हैं. शास्त्रों के अनुसार इस समय की गई शिव और शनि पूजा जीवन के कठोर कर्मफल को भी कमजोर कर देती है. शनिवार का प्रदोष व्रत इसलिए खास है क्योंकि इस दिन स्वयं शनिदेव, शिव की कृपा से, अपने दंडकारी स्वरूप को त्यागकर वरदानदाता बन जाते हैं.
पौराणिक कथा और रहस्य
स्कंद पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, राजा चंद्रभाग अपने शत्रुओं से घिरे थे. उस समय उन्होंने प्रदोष व्रत कर भगवान शिव और शनि देव की आराधना की. परिणाम यह हुआ कि पराजय निश्चित होने के बावजूद उन्हें अद्भुत विजय प्राप्त हुई.
महाभारत में भी भीमसेन ने युद्ध से पूर्व प्रदोषकालीन पूजन किया और कठिनतम परिस्थितियों में भी अपराजेय बल अर्जित किया. इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि प्रदोष व्रत केवल आस्था का विषय नहीं बल्कि असंभव को संभव करने का साधन है.
युवाओं के लिए क्यों है खास?
आज की पीढ़ी संघर्षों से घिरी हुई है. उसे करियर में रुकावटें आती हैं, प्रेम संबंधों में दिक्कत और मानसिक तनाव की स्थिति का सामना कर रहे हैं तो इन सबका समाधान इस व्रत से जुड़ा हुआ माना गया है.
प्रदोष काल में की गई शनि पूजा न केवल कर्मिक बंधनों को तोड़ती है बल्कि मनुष्य को नई ऊर्जा और अप्रत्याशित अवसर भी प्रदान करती है. यह व्रत उन युवाओं के लिए आशा का दीपक है जो अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता और भ्रम में जी रहे हैं.
व्रत विधि
- सायंकाल सूर्यास्त से लगभग एक घंटा पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- शिवलिंग पर तिल के तेल का दीपक प्रज्वलित करें और काले तिल अर्पित करें.
- ॐ शं शनैश्चराय नमः का 108 बार जाप करें.
- इस समय व्रती को मौन रहकर अपने जीवन की बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करनी चाहिए.
शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत से कर्ज से मुक्ति, कानूनी मामलों में विजय प्राप्त होती है. रुके हुए कार्यों की सिद्धि होते हैं और अचानक धनलाभ की स्थिति बनती है. सबसे विशेष बात यह है कि यह व्रत मनुष्य को भीतर से शक्ति और संतुलन प्रदान करता है, जिससे वह जीवन के संघर्षों का सामना दृढ़ता से कर सके.
शनि का शास्त्रीय मंत्र
इस दिन का शनि महाराज का सबसे प्रभावशाली मंत्र का जाप करना विशेष फलदायी माना गया है. इस मंत्र का जाप कोई भी कर सकता है-
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्.
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
इस मंत्र का अर्थ है कि जो नील कमल की आभा के समान, सूर्यपुत्र और यमराज के बड़े भाई हैं उन शनि देव को मैं प्रणाम करता हूं.
4 अक्टूबर का यह शनि प्रदोष व्रत एक साधारण तिथि नहीं है. यह वह अवसर है जब व्यक्ति अपनी जीवनयात्रा को नया मोड़ दे सकता है. आस्था और अनुशासन के साथ किया गया यह व्रत भाग्य को अप्रत्याशित दिशा में मोड़ने की क्षमता रखता है.
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