महबूबा मुफ्ती ने की युवाओं के लिए खेल मैदान वापस करने की मांग, बोलीं, ‘Gen Z को हाशिये पर…’


पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बुधवार (01 अक्टूबर) को श्रीनगर के दो इलाकों का दौरा किया और स्थानीय युवाओं द्वारा खेल गतिविधियों के इस्तेमाल के लिए खुले खेल मैदानों को फिर से बहाल करने की मांग की. मुफ्ती ने चट्टाबल के तबेला मैदान और बघाट बरज़ुल्ला के एमईटी मैदान का औचक निरीक्षण किया और दोनों जगहों पर स्थानीय लोगों से बातचीत की. उन्होंने सेना और पुलिस प्रशासन से अपील करते हुए कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जेनरेशन Z को हाशिये पर न धकेला जाए.

महबूबा मुफ़्ती ने X पर लिखा, “मैं सेना और पुलिस दोनों अधिकारियों से ऐसे किसी भी कदम पर पुनर्विचार करने का आग्रह करती हूं. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जेनरेशन Z को हाशिये पर न धकेला जाए, ऐसा करने के दीर्घकालिक गंभीर परिणाम हो सकते हैं. नागरिक उपयोग के लिए इन स्थानों का संरक्षण केवल भूमि के बारे में नहीं है, बल्कि यह हमारे युवाओं के लिए आशा, अवसर और अपनेपन की भावना की रक्षा के बारे में है.” 

महबूबा मुफ्ती ने युवाओं को लेकर जताई चिंता

उन्होंने आगे कहा, “स्थानीय निवासियों, खासकर युवाओं में यह चिंता बढ़ रही है कि खेल और मनोरंजक गतिविधियों के लिए नियमित रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले इन महत्वपूर्ण खुले मैदानों पर सेना या पुलिस बल कब्जा कर सकते हैं. इससे वे स्वस्थ जुड़ाव और सामुदायिक मेलजोल के लिए उपलब्ध कुछ सुलभ सार्वजनिक स्थानों में से एक से वंचित हो जाएंगे.” स्थानीय महिलाओं और युवाओं से मुलाकात के बाद महबूबा मुफ्ती ने इन कृत्यों पर चिंता व्यक्त की.

तबेला मैदान सेना का डेयरी फार्म

बता दें कि श्रीनगर के चट्टाबल इलाके में स्थित तबेला मैदान, भारतीय सेना का पूर्व डेयरी फार्म है, जो 2014 की बाढ़ में तबाह हो गया था जब सभी 250 गायें मर गईं थीं. एमईटी मैदान, जमात-ए-इस्लामी द्वारा संचालित मुस्लिम एजुकेशन ट्रस्ट (एमईटी) स्कूल का हिस्सा था और हाल ही में इस मैदान को शहीदों के परिवारों के लिए एक आवासीय कॉलोनी बनाने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस को सौंप दिया गया है.

2014 की बाढ़ के बाद, भारतीय सेना ने फार्म मालिकों के साथ समझौते का नवीनीकरण नहीं किया और इसके बजाय इस परिसर को ‘ऑपरेशन सद्भावना’ से जुड़ी परियोजनाओं से जुड़ी इकाई को सौंप दिया.

सेना के अधिकारी ने क्या कहा?

एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “इस परिसर में कई सेना प्रायोजित गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ), जिम, प्रशिक्षण संस्थान और अन्य गतिविधियां संचालित होती हैं जहां सेना स्थानीय लोगों की मदद करती है. हालांकि, इस खुले क्षेत्र में फुटबॉल और क्रिकेट मैच जैसी खेल गतिविधियों के अलावा स्थानीय लोग सुबह की सैर भी कर सकते थे, लेकिन सुरक्षा कारणों से हमें इस मुफ़्त पहुंच को रोकना पड़ा.”

एमईटी ग्राउंड 70 साल पुराना

बरज़ुल्ला बघाट स्थित एमईटी ग्राउंड 70 साल पुराना खेल का मैदान है और अब इसका इस्तेमाल शहीद पुलिसकर्मियों के परिवारों के लिए आवासीय क्वार्टर बनाने के लिए किया जाएगा. स्थानीय लोग इस मैदान का इस्तेमाल खेलों के साथ-साथ विवाह जैसे सामाजिक समारोहों के लिए भी करते रहे हैं. लेकिन उपराज्यपाल के नेतृत्व वाले प्रशासन ने एक ही झटके में जमीन जम्मू-कश्मीर पुलिस को सौंप दी क्योंकि जमात-ए-इस्लामी इस जमीन को सौंपने का बचाव नहीं कर सका.

महबूबा मुफ्ती ने किस तर्क को किया खारिज?

महबूबा मुफ़्ती ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी से युवाओं को मैदान वापस करने की अपील करते हुए इस तर्क को सिरे से खारिज कर दिया और दावा किया कि दोनों जगहों पर खेल गतिविधियों को रोकना स्थानीय लोगों के अधिकारों का हनन है और इसे युवाओं में बढ़ते नशीले पदार्थों के सेवन से जोड़ा जा रहा है.

खेल मैदान छीनने से अलगाव और गहरा होगा- महबूबा मुफ्ती

उन्होंने आगे कहा, ”खेल के मैदान वे होते हैं जहां सामुदायिक बंधन बनते हैं और जहां बच्चे बेहतर भविष्य के सपने देख सकते हैं. इन्हें छीनने से अलगाव और गहरा होगा.” पीडीपी अध्यक्ष ने बारामूला के शीरी में भी इसी तरह की शिकायतों का ज़िक्र किया, जहां स्थानीय लोगों का आरोप है कि खुले मैदानों पर धीरे-धीरे कब्ज़ा किया जा रहा है.

इल्तिजा मुफ़्ती ने भी मां की मांग का किया समर्थन

अपनी मां का समर्थन करते हुए, इल्तिजा मुफ़्ती ने भी स्थानीय लोगों को खेल मैदान वापस दिलाने की मांग करते हुए एक्स को लिखा, “आज श्रीनगर में तबेला और एमईटी मैदान का दौरा करके, महबूबा मुफ्ती सीधे हमारे युवाओं के साथ खड़ी हुईं और उन जगहों की रक्षा की जहां उनके सपने पनपते हैं. उनका नेतृत्व उस पीढ़ी के लिए आशा और शक्ति लेकर आया है जो सुनने की हक़दार है.”

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