महाराजगंज : यूपी के कानपुर के सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व विधायक इरफान सोलंकी (Former SP MLA Irfan Solanki) मंगलवार शाम महराजगंज जेल से रिहा हो गए। लगभग 34 महीने की कैद के बाद यह रिहाई उनके लिए बड़ी राहत लेकर आई है। जेल के बाहर इंतजार कर रही विधायक पत्नी नसीम सोलंकी ,दोनों बेटों और सास खुर्शिदा बेगम से मिलकर वह भावुक हो गए। बेटों ने दौड़कर पिता को गले लगाया, जबकि समर्थकों ने ‘जेल का ताला टूट गया’ के नारों के साथ भव्य स्वागत किया।
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ED की वीडियो पूछताछ से रिहाई में हुई देरी
सुबह करीब 10 बजे नसीम सोलंकी परिवार के साथ जेल पहुंचीं। उन्होंने समर्थकों से भीड़ न लगाने की अपील की, लेकिन जेल प्रशासन ने रिहाई में देरी की। कारण था मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इरफान से पूछताछ की। इस वजह से शाम को ही रिहाई संभव हुई। जेल के बाहर सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी, जहां 20 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात थे। रिहाई के बाद इरफान सफेद पठानी सूट में नजर आए और बोले, ‘अल्लाह का करम है, सत्य की जीत हुई। अब परिवार के साथ समय बिताएंगे।’
परिवार ने इरफान के कपड़े और जरूरी सामान पहले ही जेल भेज दिया था। नसीम ने अंदर जाकर पति से मुलाकात की, जबकि बेटों को गेट पर ही रोक लिया गया। बाहर आकर नसीम ने कहा, कि पति की जल्द रिहाई की उम्मीद थी, अब सब ठीक हो जाएगा।
गैंगस्टर एक्ट में जमानत, आखिरी बाधा हटी
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 25 सितंबर 2025 को गैंगस्टर एक्ट के मामले में इरफान को जमानत दे दी थी। यह उनका आखिरी लंबित आपराधिक केस था। हालांकि, कोर्ट के दस्तावेज कानपुर जेल भेजे गए थे, जिससे रिहाई तीन दिन लेट हो गई। इरफान 2 दिसंबर 2022 से जेल में बंद थे, जब उन पर कुल 10 मुकदमे दर्ज थे। इनमें से ज्यादातर में पहले ही जमानत मिल चुकी थी।
7 जून 2024 को कानपुर में एक महिला के प्लॉट पर आगजनी के मामले में इरफान को 7 साल की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद उनकी विधायकी रद्द हो गई। इसके बाद हुए उपचुनाव में पत्नी नसीम सोलंकी ने सीसामऊ सीट जीतकर विधायक बन गईं। हाईकोर्ट ने जमानत देते हुए कहा कि सभी केसों में सजा पूरी हो चुकी है या जमानत योग्य हैं।
30 करोड़ की संपत्ति जब्त, नई सुनवाई 28 अक्टूबर को
रिहाई के बाद भी इरफान पर ED का केस बरकरार है। मार्च 2024 में ED ने इरफान के पांच ठिकानों पर छापे मारे थे, जहां से वित्तीय अनियमितताओं, संदिग्ध लेनदेन और बांग्लादेशी नागरिक को आश्रय देने के आरोपों के तहत अहम दस्तावेज बरामद हुए। इस कार्रवाई में 30 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की गई। ED लखनऊ जोनल कार्यालय के असिस्टेंट डायरेक्टर प्रताप सिंह ने 7 अगस्त 2025 को करीब 2,000 पेज का वाद दाखिल किया, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग, बांग्लादेशी को फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने और अवैध संपत्ति बनाने जैसे आरोप हैं।
विशेष न्यायाधीश ने 19 सितंबर को इरफान, बांग्लादेशी नागरिक डॉ. रिजवान मोहम्मद, मन्नू रहमान, मो. वशी खान और कमर आलम को 29 सितंबर को तलब किया था। हालांकि, मन्नू रहमान के वकील मो. सलीम ने वाद पत्र की प्रति मांगी, जिसके बाद सुनवाई टल गई। अगली तारीख 28 अक्टूबर 2025 तय की गई है। ED के मुताबिक, यह केस अभी प्रारंभिक चरण में है।
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भाई रिजवान भी हाल ही में रिहा
इरफान के भाई रिजवान सोलंकी भी हाल ही में जेल से रिहा हो चुके हैं। रिहाई के बाद वे पिता की कब्र पर फातिहा पढ़ने पहुंचे। सपा नेताओं ने इरफान की रिहाई को पार्टी के लिए बड़ी जीत बताया है। समर्थकों का मानना है कि यह रिहाई कानपुर की सियासत में नया मोड़ लाएगी।
इस रिहाई ने न केवल सोलंकी परिवार को राहत दी है, बल्कि सपा के लिए राजनीतिक मजबूती का संकेत भी है। हालांकि, ED केस की वजह से इरफान की मुश्किलें अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई हैं।
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