Film Bisahi: बिहार के बेगूसराय निवासी युवा डायरेक्टर अभिनव ठाकुर (Abhinav Thakur) की फिल्म बिसाही को दर्शकों का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. साथी, अच्छी रेटिंग पाकर इस साल की टॉप फिल्मों में से एक बन गई है. देशभर में एक साथ रिलीज हुई इस फिल्म को फिल्म इंडस्ट्री के प्रतिष्ठित प्लेटफॉर्म IMDb पर 9.4 की शानदार रेटिंग मिली है. बता दें कि, बिसाही मनोरंजन के साथ एक महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश लेकर आई है, जिसे दर्शक हाथों-हाथ ले रहे हैं.
खास बात यह है कि डायन बिसाही जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ महिलाओं को जागरूक करने में यह फिल्म सफल हो रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में फिल्म ‘बिसाही’ को देखने के लिए दर्शकों का हुजूम उमड़ रहा है, जिसमें महिलाओं की संख्या सबसे अधिक है.

अंधविश्वास पर सीधा प्रहार कर रही बिसाही
फिल्म ‘बिसाही’ सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि एक संदेश है. यह डायन कुप्रथा जैसे कुप्रचार और अंधविश्वास पर सीधा प्रहार करती है. करीब 1 घंटा 45 मिनट की इस फिल्म में अभिनय से लेकर फिल्मांकन तक में डायरेक्टर अभिनव ठाकुर का सफल अनुभव साफ दिखता है. फिल्म की कहानी इतनी अधिक जीवंत और कसी हुई है कि दर्शक कुर्सी पर चिपके रहते हैं और कहानी में डूब जाते हैं.
मुख्य भूमिका में नजर आ रहे ये कलाकार
मुख्य भूमिका में नजर आ रहे रवि साहू ने अपनी इमोशनल अदाकारी से दिल जीता है. उनके साथ राम सुजान सिंह, पूजा अग्रवाल, इंदु प्रसाद, चाहना पटेल, हार्दिक सोलंकी और पूजा रावल जैसे कलाकारों ने फिल्म को मजबूती दी है. गुजरात, राजस्थान और मुंबई की लोकेशन्स पर शूट की गयी इस फिल्म में अभिनय और तकनीकी दोनों स्तरों पर मेहनत साफ दिखती है.
पटना सहित इन शहरों में मिल रहा अच्छा रिस्पांस
फिल्म ‘बिसाही’ की गूंज बिहार और झारखंड के प्रमुख शहरों तक सुनाई दे रही है. बिहार के पटना, भागलपुर, बेतिया, सिवान, बेगूसराय, पूर्णिया और झारखंड के रांची, हजारीबाग, बोकारो, जमशेदपुर, धनबाद, रामगढ़ आदि जिलों में दर्शक भारी संख्या में सिनेमाघरों तक पहुंच रहे हैं. बिहार और झारखंड के अलावा दिल्ली, मुंबई, भोपाल, जयपुर, इंदौर, ओडिशा जैसे राज्यों के शहरों में भी फिल्म रिलीज की गई है. पटना में कई महिलाओं ने फिल्म देखने के बाद इसे खुलकर 4 स्टार के लायक बताया.
सबसे बड़ी हाइलाइट यह है कि फिल्म का गाना ‘जय श्रीराम’ रिलीज से पहले ही सुपरहिट हो चुका था और अब फिल्म देखते समय सिनेमाघरों में दर्शक खुद-ब-खुद झूमते नजर आते हैं. यह फिल्म उन अनसुनी चीखों की आवाज है, जिन्हें समाज अंधविश्वास और अशिक्षा के नाम पर दबा देता है.
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