SEBI ने फिर टाली रिटेल एल्गो ट्रेडिंग की समयसीमा, अब अप्रैल 2026 से होगा पूरा रोलआउट

भारतीय बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने रिटेल निवेशकों के लिए एल्गोरिदमिक (एल्गो) ट्रेडिंग को सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से तैयार किए गए नए फ्रेमवर्क की समयसीमा एक बार फिर आगे बढ़ा दी है. पहले यह फ्रेमवर्क 1 अगस्त 2025 से लागू होना था, जिसे बाद में 1 अक्टूबर 2025 तक टाला गया. अब सेबी ने घोषणा की है कि इसे चरणबद्ध (Phased) तरीके से लागू किया जाएगा और पूरा फ्रेमवर्क 1 अप्रैल 2026 से सभी ब्रोकर पर अनिवार्य होगा.

क्यों टाला गया फ्रेमवर्क?

सेबी ने कहा कि कई स्टॉक ब्रोकर और एल्गो वेंडर ने अनुरोध किया था कि सिस्टम से जुड़ी तकनीकी तैयारियों और बदलावों के लिए उन्हें और समय चाहिए. अगर यह नियम जल्दबाजी में लागू किए जाते तो सिस्टम में दिक्कतें आ सकती थीं और निवेशकों को परेशानी होती. इसी वजह से सेबी ने एक फेज़वाइज रोडमैप जारी किया है, ताकि नए नियमों को लागू करना सुचारू रूप से हो सके.

नया टाइमलाइन और चरणबद्ध रोलआउट

सेबी के नए शेड्यूल के मुताबिक, ब्रोकर को पहले 31 अक्टूबर 2025 तक कम से कम एक एल्गो स्ट्रैटेजी का एपीआई (API) से रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इसके बाद 30 नवंबर 2025 तक सभी एल्गो प्रोडक्ट्स और कुछ स्ट्रैटेजीज का रजिस्ट्रेशन पूरा करना होगा.

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अगला चरण 3 जनवरी 2026 तक तय किया गया है, जिसमें ब्रोकर को कम से कम एक फुल मॉक ट्रेडिंग सेशन में भाग लेना जरूरी होगा. जो ब्रोकर इन तय तारीखों का पालन नहीं करेंगे, वे 5 जनवरी 2026 से नए रिटेल क्लाइंट्स को API-बेस्ड एल्गो ट्रेडिंग में ऑनबोर्ड नहीं कर पाएंगे.

अंत में, 1 अप्रैल 2026 से पूरा फ्रेमवर्क सभी ब्रोकर के लिए अनिवार्य रूप से लागू हो जाएगा. इसके साथ ही, जो ब्रोकर 1 अक्टूबर 2025 तक लाइव नहीं होंगे, उन्हें अपने मौजूदा क्लाइंट्स की जानकारी 30 सितंबर 2025 तक एक्सचेंज को देनी होगी.

नए नियमों से क्या बदलेगा?

इस फ्रेमवर्क के तहत अब हर एल्गो स्ट्रैटेजी को एक्सचेंज में रजिस्टर कराना अनिवार्य होगा और उसे एक यूनिक आईडी दी जाएगी. इस आईडी के जरिए एक्सचेंज आसानी से एल्गो ऑर्डर्स को ट्रैक कर सकेंगे.

इसके अलावा, एल्गो प्रोवाइडर्स को पहले एक्सचेंज में एम्पैनलमेंट कराना होगा और पूरी प्रक्रिया किसी ट्रेडिंग मेंबर के जरिए ही पूरी करनी होगी. इससे सिस्टम ज्यादा पारदर्शी बनेगा और निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा.

निवेशकों के लिए क्या फायदे होंगे?

रिटेल निवेशकों के लिए सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अब एल्गो ट्रेडिंग से जुड़ी गतिविधियां पूरी तरह रेगुलेटेड और ट्रैक की जाने वाली होंगी. पहले एल्गो ट्रेडिंग का इस्तेमाल बड़े निवेशकों और ब्रोकर ज्यादा फायदा उठाने के लिए करते थे, जिससे रिटेल इन्वेस्टर्स पिछड़ जाते थे.

नए फ्रेमवर्क के बाद-

फर्जीवाड़े और मैनिपुलेशन पर रोक लगेगी.

निवेशकों को भरोसा रहेगा कि उनके ऑर्डर्स सुरक्षित और पारदर्शी सिस्टम से गुजर रहे हैं.

मार्केट में लेवल-प्लेइंग फील्ड तैयार होगा.

एल्गो ट्रेडिंग को रेगुलेट करना क्यों जरूरी है?

एल्गो ट्रेडिंग यानी कंप्यूटर प्रोग्राम और प्री-डिफाइंड स्ट्रैटेजीज के जरिए शेयरों की तेज़ी से खरीद-बिक्री. इसमें छोटे-छोटे दामों के अंतर से भी मुनाफा कमाया जाता है.

अगर इसे बिना नियमों के चलने दिया जाए तो बाजार में असंतुलन और मैनिपुलेशन बढ़ सकता है. रिटेल निवेशक को नुकसान हो सकता है और पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो सकते हैं. यही कारण है कि सेबी लगातार इसके लिए कड़े नियम और गाइडलाइंस बना रहा है.

एक्सपर्ट्स की राय

मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि सेबी का यह फैसला सही दिशा में है. अगर इसे जल्दबाजी में लागू किया जाता तो ब्रोकर और वेंडर तकनीकी रूप से तैयार नहीं होते और बाजार में तकनीकी गड़बड़ियां हो सकती थीं. अब जब इसे फेज़वाइज तरीके से लागू किया जा रहा है तो सभी पक्षों को तैयारी का समय मिलेगा और रिटेल निवेशकों का भरोसा भी बढ़ेगा.

सेबी का यह कदम रिटेल निवेशकों की सुरक्षा को मजबूत करेगा और एल्गो ट्रेडिंग को ज्यादा सुरक्षित और पारदर्शी बनाएगा. अप्रैल 2026 से जब पूरा फ्रेमवर्क लागू होगा, तब भारतीय शेयर बाजार में एल्गो ट्रेडिंग का परिदृश्य काफी बदल जाएगा और निवेशकों को ज्यादा भरोसेमंद माहौल मिलेगा.

खबर से जुड़े FAQs

Q1. सेबी ने एल्गो ट्रेडिंग का नया फ्रेमवर्क कब लागू करने का फैसला किया है?

अप्रैल 1, 2026 से यह सभी ब्रोकर पर लागू होगा.

Q2. ब्रोकर को पहला रजिस्ट्रेशन कब तक करना होगा?

31 अक्टूबर 2025 तक कम से कम एक एल्गो स्ट्रैटेजी का API रजिस्ट्रेशन करना होगा.

Q3. मॉक ट्रेडिंग सेशन की डेडलाइन कब है?

3 जनवरी 2026 तक ब्रोकर को कम से कम एक मॉक ट्रेडिंग सेशन में भाग लेना होगा.

Q4. अगर ब्रोकर तय समयसीमा पूरी नहीं करेंगे तो क्या होगा?

5 जनवरी 2026 से वे नए रिटेल क्लाइंट्स को API-बेस्ड एल्गो ट्रेडिंग में ऑनबोर्ड नहीं कर पाएंगे.

Q5. इस फ्रेमवर्क का मुख्य उद्देश्य क्या है?

रिटेल निवेशकों को सुरक्षित और पारदर्शी एल्गो ट्रेडिंग की सुविधा देना और बाजार में लेवल-प्लेइंग फील्ड तैयार करना.

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