जनरेटिव एल्गोरिदम से एल्गोरिदम ट्रेडिंग सिस्टम बनाना आसान हो गया है। लेकिन, इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस ट्रेंड से ‘शैलो क्वांट्स’ पैदा हो सकता है, जिससे ‘एक्सप्लेनिबिलिटी’ गैप बढ़ सकता है। यह रेगुलेटर्स के लिए एक बड़ा चैलेंज हो सकता है। FY25 में एनएसई में एल्गोरिदम स्ट्रेटेजी की हिस्सेदारी इक्विटी डेरिवेटिव टर्नओवर में 70 फीसदी तक पहुंच गई। इस साल ग्लोबल एल्गो ट्रेडिंग मार्केट के 23.48 अरब डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान है।
द फ्यूचर ऑफ AI इन क्वांट ट्रेडिंग पर आयोजित एक वेबिनार में इस मसले पर व्यापक चर्चा हुई। कुछ एक्सपर्ट्स ने ‘explainability‘ को लेकर गंभीर चिंता जताई। फैंसी क्वांट के फाउंडर दिमीत्री बियांको ने कहा कि ट्रांसपेरेंसी के साथ किसी तरह का समझौता नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, “एक्सप्लेनिबिलिटी फाइनेंस का कोर है। इसके बगैर आप क्वांट फाइनेंस नहीं कर सकते-यह सिर्फ गैंबलिंग है।” उन्होंने लार्ज डेविएशन स्टीप लॉसेज के ट्रिगर होने पर एलटीएम-स्टाइल के झटकों को लेकर चेताया।
हालांकि, कुछ दूसरे एक्सपर्ट्स ने इससे सहमति नहीं जताई। ग्लोबल स्ट्रेटेजिक मिनरल्स कॉर्प के चीफ टेक्नोलॉजी अफसर पीटर कॉटन ने कहा एक्सप्लेनिबिलिटी को लेकर चिंता को काफी बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जा रहा है। वेबिनार में गवर्नेंस रिस्क को लेकर भी चिंता जताई गई। जीरोधा के वाइस प्रेसिडेंट (ट्रेडिंग ऑपरेशन) फैसल मोहम्मद ने कहा कि ओवरसाइट में देर हुई है, लेकिन यह अनिवार्य है। फर्मों को स्विचेज को हटाना होगा और गवर्नेंस पॉलिसीज का इस्तेमाल करना होगा।
उन्होंने कहा कि सेबी पहले से ही ब्रोकर्स को एआई फ्रेमवर्क्स बनाने के लिए कहता आ रहा है। सिंगापुर, हांगकांग और ईयू में रेगुलेटर्स एआई एडवायजरी टूल्स को हाई रिस्क कैटेगरी में रखते हैं। टैलेंट को लेकर बाधाओं को भी चर्चा हुई। यूपीएस ने पिछले महीने कहा था कि फर्म ट्रेडिशनल मॉडलिंग में गहराई के बगैर एआई टीम बना रहे हैं। जेफरीज ने एआई फ्लूएंसी के साथ हाइब्रिड टैलेंट ब्लेंडिंग फाइनेंस की बढ़ती मांग के बारे में बताया। मोहम्मद ने कॉस्ट की बाधाओं के बारे में कहा कि एआई डेस्क्स के लिए स्टार्टअप्स का बजट लाखों से घटकर हजारों में आ गया है।
ब्रेन के चेयरमैन और रिसर्च हेड मैटियो कैंपेलोने ने कहा कि एग्जिक्यूशन और डेटा क्वालिटी काफी अहम हैं। कोडिंग आसान हो गया है। यह नॉन-स्पेशियलिस्ट्स के लिए भी मुमकिन हो गया है। लेकिन एक्चुअल एग्जिक्यूशन काफी जटिल है। किसी एक व्यक्ति को पूरी एआई पाइपलान को रन करने देने के अपने रिस्क हैा। उन्होंने ओवरफिटिंग और डेटा लीकेज को रोकने के लिए मजबूत कंट्रोल की जरूरत बताई।
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