तीन नॉर्डिक राजधानियों के आसमान में सोमवार (22 सितंबर, 2025) को ड्रोन दिखे थे, जिसके बाद इन देशों ने सिक्योरिटी अलर्ट जारी कर दिया था. कोपेनहेगन हवाई अड्डे को सुरक्षा कारणों के चलते घंटों बंद रखा गया. डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने आशंका जताई कि इसके पीछे रूस का हाथ हो सकता है तो मास्को ने तुरंत इसका विरोध किया.
डेनिश मीडिया के मुताबिक, उत्तरी यूरोप के सबसे बड़े कोपेनहेगन हवाई अड्डे, कस्ट्रुप को क्षेत्र में दो से तीन बड़े ड्रोन देखे जाने की सूचना के बाद कई घंटों के लिए बंद कर दिया गया था. डेनमार्क पुलिस की ओर से बड़े पैमाने पर अभियान शुरू करने के बाद 35 से ज्यादा उड़ानों का मार्ग परिवर्तित कर दिया गया था.
ड्रोन उड़ानों के संबंध से रूस ने किया इनकार
इस बीच रूस ने इस बात से इनकार किया है कि उसका उन ड्रोन उड़ानों से कोई संबंध था, जिनके कारण कोपेनहेगन हवाई अड्डे को रात भर घंटों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद करना पड़ा. जबकि डेनमार्क की प्रधानमंत्री ने कहा था कि वह रूसी संलिप्तता से इनकार नहीं कर सकतीं.
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने एक दैनिक ब्रीफिंग में संवाददाताओं से कहा, ‘हम हर बार वहां से निराधार आरोप सुनते हैं. शायद एक गंभीर, जिम्मेदार रुख अपनाने वाले लोगों को बार-बार ऐसे निराधार आरोप नहीं लगाने चाहिए.’
नाटो सहयोगी के ऊपर गंभीर हमला
डेनिश मीडिया हाउस डीआर के मुताबिक, डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने कहा कि वह इस संभावना से इनकार नहीं कर सकतीं कि कोपेनहेगन हवाई अड्डे पर ड्रोन उड़ाने के कारण हुई बड़ी गड़बड़ी के पीछे रूस का हाथ हो. उन्होंने इसे नाटो सहयोगी के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर एक गंभीर हमला बताया.
फ्रेडरिक्सन ने सोमवार को नॉर्वे के ओस्लो हवाई अड्डे पर हुई इसी तरह की ड्रोन घटना और हाल ही में पोलैंड, एस्टोनिया और रोमानिया के हवाई क्षेत्र में रूस की ओर से किए गए कथित उल्लंघन की ओर इशारा किया. डेनमार्क के मीडिया डीआर की रिपोर्ट के अनुसार, फ्रेडरिक्सन ने डेनिश भाषा में कहा, ‘इसे यूरोप में हो रही हर घटना के संदर्भ में देखा जाना चाहिए, अभी तक हम किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए हैं.’
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