केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने 18 सितंबर 2025 को मुंबई की विशेष अदालत में दो चार्जशीट दाखिल की है. ये मामला अनिल अंबानी समूह की कंपनियों (RCFL और RHFL) और यस बैंक के बीच हुए धोखाधड़ी लेन-देन से जुड़ा है.
जांच में सामने आया कि यस बैंक के तत्कालीन मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ राणा कपूर ने अपने पद का दुरुपयोग कर हजारों करोड़ रुपये की सार्वजनिक धनराशि वित्तीय संकट से जूझ रही अंबानी समूह की कंपनियों में लगाई और बदले में उनके परिवार को लाभ पहुंचाने के लिए सौदे करवाए.
CBI की जांच में हुआ ये खुलासा
CBI की जांच में पता चला कि साल 2017 में यस बैंक ने राणा कपूर की मंजूरी पर RCFL में 2045 करोड़ रुपये और RHFL में 2965 करोड़ रुपये नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर और कमर्शियल पेपर्स में निवेश किए, जबकि उस समय ADA ग्रुप की कंपनियों को निगरानी सूची में रखा गया था. बाद में यह धनराशि जटिल लेन-देन के जरिए अन्य कंपनियों में डायवर्ट कर दी गई.
आरोप है कि अनिल अंबानी और राणा कपूर के बीच साजिश के तहत यस बैंक की धनराशि का इस्तेमाल अंबानी समूह की कमजोर कंपनियों को सहारा देने में हुआ. इसके बदले में RCFL और RHFL ने राणा कपूर की पत्नी बिंदु कपूर और बेटियों राधा व रोशनी कपूर की कंपनियों को रियायती दरों पर कर्ज और निवेश की सुविधा उपलब्ध कराई.
IPC की धाराओं के तहत मामला दर्ज
इस अवैध व्यवस्था के कारण यस बैंक को लगभग 2796.77 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और अंबानी समूह व कपूर परिवार की कंपनियों को फायदा मिला. जांच में यह भी सामने आया कि रिलायंस निप्पॉन म्यूचुअल फंड, जो रिलायंस कैपिटल की एक और सहायक कंपनी है, ने अनिल अंबानी के निर्देश पर 2017-18 में मॉर्गन क्रेडिट्स प्राइवेट लिमिटेड (कपूर परिवार की कंपनी) में 1160 करोड़ रुपये का निवेश किया.
इसके अलावा 1750 करोड़ रुपये यस बैंक के AT-1 बॉन्ड्स में लगाए गए, जो उच्च जोखिम वाले और असुरक्षित निवेश माने जाते हैं. CBI ने इस घोटाले में राणा कपूर, अनिल अंबानी, बिंदु कपूर, राधा कपूर, रोशनी कपूर, RCFL, RHFL (अब ऑथुम इंवेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड), मॉर्गन क्रेडिट्स प्रा. लि. और कपूर परिवार की अन्य शेल कंपनियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और IPC की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर चार्जशीट दाखिल की है.
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