SEBI से अदाणी ग्रुप की कंपनियों और गौतम अदाणी को क्लीन चिट, रेगुलेटर ने कहा-हिंडनबर्ग के आरोप सही नहीं पाए गए – sebi gives clean chit to adani group companies and gautam adani says no merits found in hindenburg alleagations

सेबी ने अदाणी समूह की कंपनियों के खिलाफ चल रही जांच बंद कर दी है। रेगुलेटर ने इस बारे में 18 सितंबर को एक ऑर्डर इश्यू किया। इसमें कहा गया है कि अदाणी समूह की कंपनियों और इससे जुड़े लोगों के खिलाफ व्यापक जांच में नियमों का उल्लंघन नहीं पाया गया। इसलिए बगैर किसी निर्देश के मामले को बंद किया जाता है। अदाणी समूह की कंपनियों पर अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने कई गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद सेबी ने मामले की जांच शुरू की थी।

सेबी ने अदाणी समूह की कई कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू की थी

SEBI ने Hindenburg Research की तरफ से लगाए गए आरोपों के बाद Adani Group की कंपनियों-अदाणी एंटरप्राइजेज, अदाणी पावर और अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन की जांच शुरू की थी। इसके अलावा ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी, राजेश अदाणी और जुगेशिंदर सिंह के खिलाफ भी जांच शुरू हुई थी। हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद अदाणी समूह की कई कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट आई थी। इससे निवेशकों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था।

रेगुलेटर की जांच में हिंडनबर्ग के आरोपों में सच्चाई नहीं पाई गई

सेबी के होल-टाइम डायरेक्टर कमलेश वार्ष्णेय की तरफ से पारित सेबी के आर्डर में कहा गया है, “मामले पर समग्र रूप में विचार करने के बाद मैंने पाया कि एससीएन में नोटिसीज के खिलाफ लगाए गए आरोपों में कोई सच्चाई नहीं पाई गई। इसलिए इस मामले में नोटिसीज के खिलाफ पेनाल्टी पर किसी तरह के विचार की जरूरत नहीं पाई गई। इसलिए मैं नोटिसीज के खिलाफ चल रही प्रक्रिया को बगैर किसी निर्देश तुरंत बंद करता हूं।”

हिंडनबर्ग ने फंडिंग के सोर्स पर उठाए थे सवाल

रेगुलेटर हिंडनबर्ग के कई आरोपों की जांच कर रहा था। अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म ने आरोप लगाया था कि अदाणी एंटरप्राइजेज और अदाणी पावर मुंद्रा (अब अदाणी पावर में विलय) को FY2020-21 के दौरान माइलस्टोन ट्रेडलिंक्स और रेहवार इंफ्रास्ट्रक्चर से अदाणी इंफ्रा (इंडिया) के जरिए फंडिंग मिली थी। हिंडनबर्ग ने माइलस्टोल ट्रेडलिंक्स और रेहवार इंफ्रास्ट्रक्चर के पैसे के स्रोत पर सवाल उठाए थे।

सेबी के किसी नियम का अदाणी समूह ने नहीं किया उल्लंघन

सेबी के ऑर्डर के मुताबिक, रेगुलेटर ने इस मामले की व्यापक जांच कर यह जानने की कोशिश की कि क्या किसी जानकारी या फाइनेंशियल स्टेमेंटट में किसी तरह की गड़बड़ी हुई या उन्हें गलत तरीके से पेश किया गया। इस बात की भी जांच की गई कि क्या सेबी एक्ट, 1992, सेबी (लिस्टिंग ऑब्लिगेशंस एंड डिसक्लोजर रिक्वायरमेंट) रेगुलेशंस और सेबी (प्रोअबिशन ऑफ फ्रॉडलेंट एंड अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिसेज रिलेटिंग टू सिक्योरीटीज मार्केट) रेगुलेशंस, 2003 या किसी अन्य नियम या रेगुलेशंस का उल्लंघन हुआ था।

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