US Fed Rate Cut News: आखिरकार फेड ने किया रेट कट, 2 और कटौती का अनुमान, जानें बाजार पर क्या होगा असर

US Fed Rate Cut News: अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने बुधवार को एक अहम कदम उठाते हुए अपनी बेंचमार्क ब्याज दरों में कटौती की है. यह दिसंबर के बाद पहली बार है जब फेड ने दरों को घटाया है. इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य अमेरिका के कमजोर पड़ते नौकरी बाजार और धीमी होती अर्थव्यवस्था को सहारा देना है.

दरें घटीं, अब नई रेंज 4% से 4.25%

फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत अंक (क्वार्टर प्वाइंट) की कटौती की है. अब मुख्य लेंडिंग रेट की नई सीमा 4% से 4.25% तय की गई है. यह कदम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल का पहला रेट कट है. इससे पहले नौ महीने तक फेड ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया था, क्योंकि प्रशासन की नीतियों में अनिश्चितता बनी हुई थी.

महंगाई को लेकर बनी चिंताएं

हाल के आंकड़े बताते हैं कि इस साल की पहली छमाही में आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार धीमी रही है. नौकरी के अवसरों में गिरावट आई है और बेरोजगारी दर में हल्की बढ़ोतरी देखी गई है, हालांकि यह अभी भी निचले स्तर पर है. दूसरी ओर, महंगाई यानी इन्फ्लेशन भी ऊंचे स्तर पर बनी हुई है.

फेड का लक्ष्य और जोखिम

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फेडरल रिजर्व लंबे समय से दोहरे लक्ष्य पर काम करता है- अधिकतम रोजगार सुनिश्चित करना और महंगाई को 2% के स्तर पर बनाए रखना. मौजूदा हालात को देखते हुए समिति का मानना है कि रोजगार के मोर्चे पर जोखिम बढ़ गए हैं. इसलिए, दरों में कटौती का फैसला लिया गया है ताकि रोजगार और आर्थिक गतिविधियों को सहारा मिल सके.

आगे और कटौती संभव

फेड अधिकारियों ने संकेत दिया है कि यह कटौती अकेली नहीं होगी. इस साल में और दो बार 0.25 प्रतिशत अंक की दर कटौती संभव है. यानी आगे ब्याज दरें और नीचे आ सकती हैं, जिससे कर्ज लेने वालों को राहत मिलेगी और कंपनियों को निवेश बढ़ाने का प्रोत्साहन मिलेगा.

निवेशकों और बाजारों पर असर

ब्याज दरों में कटौती आमतौर पर शेयर बाजार और निवेशकों के लिए पॉजिटिव मानी जाती है. इससे कर्ज की लागत घटती है और खपत और निवेश दोनों को गति मिलती है. हालांकि, फेड ने यह भी साफ किया है कि वह आने वाले आर्थिक आंकड़ों और वैश्विक परिस्थितियों पर नजर बनाए रखेगा और उसी आधार पर आगे के फैसले करेगा.

कुल मिलाकर, अमेरिकी फेडरल रिजर्व का यह कदम दिखाता है कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था फिलहाल दबाव में है और केंद्रीय बैंक सक्रिय कदम उठाकर उसे स्थिर करने की कोशिश कर रहा है.

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