
एकादशी का दिन दान के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है. इस दिन दिया गया दान अगले जन्म तक शुभ फल देता है. यहां तक कि पिछले जन्म के पापों से भी मुक्ति दिलाता है. शास्त्रों के अनुसार इंदिरा एकादशी पर दान करने के बाद ही व्रत का पारण करना चाहिए, क्योंकि इससे न सिर्फ विष्णु जी बल्कि पितरों की कृपा भी प्राप्त होती है.

इंदिरा एकादशी का व्रत पारण 18 सितंबर को सुबह 6.07 मिनट से सुबह 8. 34 मिनट के बीच किया जाएगा. इससे पहले दान देना न भूले.

एकादशी पर वैसे तो अपनी क्षमता अनुसार दान कर सकते हैं लेकिन इंदिरा एकादशी के व्रत पारण से पहले तिल का दान करना श्रेष्ठ माना जाता है. तिल का दान करने से जीवन में स्थिरता आती है. यह दान आध्यात्मिक और भौतिक सुखों को बढ़ाता है. साथ ही पितरों को प्रसन्न करता है.

अगर तिल नहीं है तो आप इंदिरा एकादशी पर भूखे या जरुरतमंद व्यक्ति को ताजा भोजन खिला सकते हैं, या अन्न दान कर दें. ये महादान कहलाता है. असहाय की मदद करने वालों के ग्रह अशुभ होने पर भी जीवन में बुरा परिणाम नहीं देते ऐसी मान्यता है.

वहीं इंदिरा एकादशी के दिन गौ दान करने का बहुत महत्व है. दान में गौ दान को सबसे श्रेष्ठ श्रेणी में रखा जाता है. इससे 33 कोटि देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और लक्ष्मी जी का आशीर्वाद मिलता है.

इंदिरा एकादशी पर पितरों के निमित्त घी, आटा, तेल, शक्कर का दान भी दिया जाता है. इससे यमराज भी प्रसन्न रहते हैं.
Published at : 17 Sep 2025 05:39 PM (IST)
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