प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए 75वां वर्ष कैसा रहेगा? ग्रहों की गणना और ज्योतिष से जानें

PM Modi Birthday: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को 75 वर्ष के हो रहे हैं. यह पड़ाव भारतीय राजनीति के लिए भी एक निर्णायक क्षण है. एक ओर उम्र का अनुभव, दूसरी ओर सत्ता की कसौटी.

ज्योतिषीय गणना साफ संकेत देती है कि आने वाला साल मोदी के लिए सहज नहीं होगा. ग्रहों की चाल सत्ता और छवि पर दबाव, विपक्ष की चुनौती और जनता के मूड में उतार-चढ़ाव का इशारा कर रही है. विदेश नीति में उपलब्धियां मिलेंगी, लेकिन घरेलू राजनीति में संघर्ष बढ़ेगा.

जन्मकुंडली और राशि का प्रभाव

PM मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को गुजरात के वडनगर में हुआ. उपलब्ध समय मानने पर उनकी कुंडली वृश्चिक लग्न की है और चंद्रमा भी वृश्चिक राशि के अनूराधा नक्षत्र में स्थित है. वृश्चिक राशि गहराई, रहस्य और दृढ़ निश्चय की प्रतीक है.

बृहद्पाराशर होरा शास्त्र कहता है कि वृश्चिक लग्ने जातकः पराक्रमी भवेत्. गूढज्ञः, स्थिरनिश्चयः, शत्रुं जयति नित्यशः॥ अर्थात वृश्चिक लग्न में जन्मा जातक पराक्रमी, रहस्यों का ज्ञाता और शत्रु पर विजय पाने वाला होता है.

प्रधानमंत्री मोदी का राजनीतिक सफर भी चाय बेचने वाले बालक से प्रधानमंत्री बनने तक…इस श्लोक का प्रमाण है.

मंगल महादशा: संघर्ष और आक्रामकता का काल

2021 से मोदी की कुंडली में मंगल महादशा चल रही है, जो 2028 तक रहेगी. मंगल वृश्चिक लग्न का स्वामी है और पराक्रम, साहस तथा निर्णायक फैसलों का कारक है. यही कारण है कि PM नरेंद्र मोदी हर संकट में अडिग रहते हैं और अचानक बड़े फैसले लेकर सबको चौंका देते हैं.

अभी मंगल–बुध अंतरदशा सक्रिय है. बुध एकादश भाव का कारक है और संगठन, सहयोग तथा जनता से संवाद को मजबूत करता है. यही वजह है कि हाल के महीनों में मोदी सरकार लगातार योजनाओं को सरल भाषा में जनता तक पहुंचा रही है और विपक्ष के सवालों का आंकड़ों से जवाब देती दिख रही है.

जनवरी 2026 से मंगल-केतु अंतरदशा शुरू होगी. दशम भाव में केतु सत्ता और छवि में अप्रत्याशित मोड़ लाता है. इतिहास गवाह है कि जब भी केतु दशा या गोचर में दशम भाव को प्रभावित करता है, अचानक निर्णय सामने आते हैं. 2016 की नोटबंदी और 2019 में अनुच्छेद 370 हटाना इसी वृश्चिक प्रवृत्ति और केतु की छाया का संकेत माने जाते हैं.

शनि की दृष्टि: विपक्ष का प्रहार और आर्थिक दबाव

शनि वर्तमान में मीन राशि से पंचम भाव में गोचर कर रहे हैं. उनकी दृष्टि सप्तम भाव (विपक्ष), एकादश भाव (मित्र मंडली) और द्वितीय भाव (वित्त) पर पड़ रही है.

इसका स्पष्ट अर्थ है कि अगले वर्ष मोदी को विपक्ष के तीखे प्रहार और जनता की आलोचना का सामना करना पड़ेगा. वित्तीय नीतियां और बजट फैसले भी विवाद का कारण बनेंगे. शनि जब द्वितीय भाव पर दृष्टि डालता है तो वाणी और धन दोनों पर नियंत्रण की परीक्षा होती है.

बृहत्संहिता में वर्णित है शनि दृष्ट्या वित्तनाशः, परं कालान्तरं लाभः. यानी शनि की दृष्टि पहले कठिनाई और आलोचना लाती है, लेकिन समय बीतने पर वही स्थिति लाभ में बदलती है.

राहु–केतु: जनता और सत्ता का संघर्ष

राहु कुंभ राशि में चतुर्थ भाव और केतु सिंह राशि में दशम भाव में हैं. यह स्थिति सत्ता और जनता के बीच सीधा संघर्ष खड़ा करती है. राहु जनता के मूड को अस्थिर बनाता है. कभी अचानक समर्थन, कभी अचानक असंतोष. धरना-प्रदर्शन और सामाजिक आंदोलनों का योग इसी से बनता है.

दूसरी ओर केतु दशम भाव में सत्ता और छवि पर उतार-चढ़ाव लाता है. यही कारण है कि विपक्ष लगातार मोदी की छवि को चुनौती देने की कोशिश करेगा. यह योग बताता है कि जनता और सत्ता के बीच संघर्ष का साल होगा. लेकिन वृश्चिक लग्न के जातक संकट में और मजबूत होकर उभरते हैं.

गुरु का अष्टम भाव से संकेत

गुरु मिथुन राशि में अष्टम भाव से गोचर कर रहे हैं. अष्टम का गुरु रहस्य, संकट और गुप्त लाभ का कारक है. इसका अर्थ है कि विदेश नीति और कूटनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अप्रत्याशित लाभ मिलेगा. कोई बड़ा समझौता या अंतरराष्ट्रीय सहयोग भारत की स्थिति को मज़बूत कर सकता है.

जातक पारिजात कहता है गुरु अष्टमे यदि शुभदृष्टः, संकटे च अवसरं ददाति. अर्थात अष्टम भाव में गुरु यदि बलवान हो तो संकट को अवसर में बदल देता है. यही स्थिति पीएम मोदी की विदेश नीति में दिखाई देगी.

राजनीति में तूफ़ान और विदेश में सफलता

सभी ग्रहों का संयुक्त संकेत यही है कि आने वाला साल मोदी की राजनीति में तूफ़ान खड़ा करेगा. विपक्ष आक्रामक रहेगा, जनता का मूड बदलता रहेगा और आर्थिक फैसलों पर विवाद उठेंगे. लेकिन मंगल महादशा और गुरु का प्रभाव पीएम मोदी को इन तूफ़ानों से निकलने की शक्ति देगा.

विदेश नीति में बड़ी सफलता मिल सकती है. अमेरिका, एशिया और यूरोप के साथ भारत के संबंधों में नए मोड़ आएंगे. अंतरराष्ट्रीय मंच पर मोदी की छवि और मजबूत होगी.

स्वास्थ्य और व्यक्तिगत जीवन

मंगल का बारहवें भाव से गोचर और शनि का दबाव स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है. थकान, तनाव और नींद की कमी जैसी स्थितियां बनेंगी. शनि जोड़ों और स्नायु पर दबाव डाल सकता है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अनुशासित जीवन, योग और साधना इन्हें संतुलित रखेगा.

अध्यात्म- आंतरिक शक्ति का आधार

पीएम मोदी के जीवन में अध्यात्म हमेशा से गहरा रहा है. गुरु का अष्टम भाव में गोचर साधना और ध्यान की ओर झुकाव को और बढ़ाएगा. यही साधना कठिन परिस्थितियों में उन्हें मानसिक शक्ति देगी.

बृहत्जातक में लिखा है कि गुरु अष्टमे ध्यानप्रियः, गुप्तविद्या निपुणः. अर्थात अष्टम भाव में गुरु जातक को ध्यान और रहस्यमयी विद्याओं में दक्ष बनाता है.

ज्योतिषीय गणना स्पष्ट कहती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए 75वां वर्ष संघर्ष और सफलता का संगम होगा. शनि विपक्ष और जनता से टकराव लाएंगे.

राहु-केतु सत्ता और छवि को हिलाएंगे. गुरु विदेश नीति में अप्रत्याशित लाभ देंगे. मंगल महादशा उन्हें हर संकट में अडिग रखेगी. आने वाला साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए आसान नहीं होगा. यह वर्ष उनकी राजनीति को झकझोरेगा, लेकिन यही संघर्ष उन्हें और मजबूत बनाकर नए फैसलों की ओर ले जाएगा. 

FAQs

Q1. नरेंद्र मोदी की राशि क्या है?
नरेंद्र मोदी की राशि वृश्चिक है और उनका लग्न भी वृश्चिक माना जाता है.

Q2. आने वाले साल मोदी की राजनीति पर शनि का क्या असर होगा?
शनि की दृष्टि विपक्ष और वित्त पर पड़ रही है. इससे सत्ता पर दबाव और आर्थिक फैसलों पर विवाद बढ़ सकते हैं.

Q3. राहु-केतु मोदी की छवि को कैसे प्रभावित करेंगे?
राहु जनता के मूड को अस्थिर करेगा, जबकि केतु सत्ता और छवि में उतार-चढ़ाव लाएगा.

Q4. विदेश नीति में मोदी को कैसा फल मिलेगा?
गुरु अष्टम भाव से लाभ दे रहे हैं, जिससे विदेश नीति में अप्रत्याशित सहयोग और समझौते संभव हैं.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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