Kanya Sankranti 2025 Upay: ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक सभी ग्रह समय-समय पर राशि परिवर्तन करते हैं. लेकिन ग्रह-गोचर में सूर्य का गोचर महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है. जिस दिन सूर्य जिस राशि में प्रवेश करते हैं, उस दिन उस राशि के नाम की संक्रांति मनाई जाती है.
बुधवार, 17 सितंबर 2025 को सूर्य सिंह राशि की यात्रा पूरी कर बुध के स्वामित्व वाली राशि कन्या में गोचर करेंगे. इस दिन कन्या संक्रांति मनाई जाएगी. कन्या संक्रांति के शुभ दिन पर यदि आप कुछ उपाय करते हैं तो यह आपका भाग्य बदल सकता है. आइये जानते हैं इन उपायों के बारे में.
सूर्य देव के मूल मंत्र का जाप- ‘ऊँ ह्रीं घृणि सूर्य आदित्य: श्रीं।’ यह सूर्य देव का मूल मंत्र है. कन्या संक्रांति से दिन सुबह स्नानादि के बाद इस मंत्र जाप करना बहुत शुभ माना जाता है.
आदित्य हृदय स्त्रोत- कन्या संक्रांति के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल चढ़ाकर प्रणाम करें. फिर पूजा-पाठ कर आदित्य हृदय स्त्रोत पाठ करें. इससे आपके कारोबार में तेजी आएगी और आर्थिक लाभ होगा.
दान करें- कन्या संक्रांति के दिन भगवान सूर्य से जुड़ी चीजें जैसे- गेहूं, गुड़, लाल वस्त्र आदि का दान करने से करियर में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं.
सूर्य देव के नामों का जाप
कन्या संक्रांति के दिन भगवान सूर्य के 108 नामों का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है. आप सुबह स्नान के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और फिर इन नामों का जाप करें. इससे करियर-कारोबार में सफलता मिलती है. साथ ही भगवान भास्कर आपको आरोग्यता का आशीर्वाद भी देंगे.
- ॐ नित्यानन्दाय नमः।
- ॐ निखिलागमवेद्याय नमः।
- ॐ दीप्तमूर्तये नमः।
- ॐ सौख्यदायिने नमः।
- ॐ श्रेयसे नमः।
- ॐ श्रीमते नमः।
- ॐ अं सुप्रसन्नाय नमः।
- ॐ ऐं इष्टार्थदाय नमः।
- ॐ सम्पत्कराय नमः।
- ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
- ॐ तेजोरूपाय नमः।
- ॐ परेशाय नमः।
- ॐ नारायणाय नमः।
- ॐ कवये नमः।
- ॐ सूर्याय नमः।
- ॐ सकलजगतांपतये नमः।
- ॐ सौख्यप्रदाय नमः।
- ॐ आदिमध्यान्तरहिताय नमः।
- ॐ भास्कराय नमः।
- ॐ ग्रहाणांपतये नमः।
- ॐ वरेण्याय नमः।
- ॐ तरुणाय नमः।
- ॐ परमात्मने नमः।
- ॐ हरये नमः।
- ॐ रवये नमः।
- ॐ अहस्कराय नमः।
- ॐ परस्मै ज्योतिषे नमः।
- ॐ अमरेशाय नमः।
- ॐ अच्युताय नमः।
- ॐ आत्मरूपिणे नमः।
- ॐ अचिन्त्याय नमः।
- ॐ अन्तर्बहिः प्रकाशाय नमः।
- ॐ अब्जवल्लभाय नमः।
- ॐ कमनीयकराय नमः।
- ॐ असुरारये नमः।
- ॐ उच्चस्थान समारूढरथस्थाय नमः।
- ॐ जन्ममृत्युजराव्याधिवर्जिताय नमः।
- ॐ जगदानन्दहेतवे नमः।
- ॐ जयिने नमः।
- ॐ ओजस्कराय नमः।
- ॐ भक्तवश्याय नमः।
- ॐ दशदिक्संप्रकाशाय नमः।
- ॐ शौरये नमः।
- ॐ हरिदश्वाय नमः।
- ॐ शर्वाय नमः।
- ॐ ऐश्वर्यदाय नमः।
- ॐ ब्रह्मणे नमः।
- ॐ बृहते नमः।
- ॐ घृणिभृते नमः।
- ॐ गुणात्मने नमः।
- ॐ सृष्टिस्थित्यन्तकारिणे नमः।
- ॐ भगवते नमः।
- ॐ एकाकिने नमः।
- ॐ आर्तशरण्याय नमः।
- ॐ अपवर्गप्रदाय नमः।
- ॐ सत्यानन्दस्वरूपिणे नमः।
- ॐ लूनिताखिलदैत्याय नमः।
- ॐ खद्योताय नमः।
- ॐ कनत्कनकभूषाय नमः।
- ॐ घनाय नमः।
- ॐ कान्तिदाय नमः।
- ॐ शान्ताय नमः।
- ॐ लुप्तदन्ताय नमः।
- ॐ पुष्कराक्षाय नमः।
- ॐ ऋक्षाधिनाथमित्राय नमः।
- ॐ उज्ज्वलतेजसे नमः।
- ॐ ऋकारमातृकावर्णरूपाय नमः।
- ॐ नित्यस्तुत्याय नमः।
- ॐ ऋजुस्वभावचित्ताय नमः।
- ॐ ऋक्षचक्रचराय नमः।
- ॐ रुग्घन्त्रे नमः।
- ॐ ऋषिवन्द्याय नमः।
- ॐ ऊरुद्वयाभावरूपयुक्तसारथये नमः।
- ॐ जयाय नमः।
- ॐ निर्जराय नमः।
- ॐ वीराय नमः।
- ॐ ऊर्जस्वलाय नमः।
- ॐ हृषीकेशाय नमः।
- ॐ उद्यत्किरणजालाय नमः।
- ॐ विवस्वते नमः।
- ॐ ऊर्ध्वगाय नमः।
- ॐ उग्ररूपाय नमः।
- ॐ उज्ज्वल नमः।
- ॐ वासुदेवाय नमः।
- ॐ वसवे नमः।
- ॐ वसुप्रदाय नमः।
- ॐ सुवर्चसे नमः।
- ॐ सुशीलाय नमः।
- ॐ सुप्रसन्नाय नमः।
- ॐ ईशाय नमः।
- ॐ वन्दनीयाय नमः।
- ॐ इन्दिरामन्दिराप्ताय नमः।
- ॐ भानवे नमः।
- ॐ इन्द्राय नमः।
- ॐ इज्याय नमः।
- ॐ विश्वरूपाय नमः।
- ॐ इनाय नमः।
- ॐ अनन्ताय नमः।
- ॐ अखिलज्ञाय नमः।
- ॐ अच्युताय नमः।
- ॐ अखिलागमवेदिने नमः।
- ॐ आदिभूताय नमः।
- 103 ॐ आदित्याय नमः।
- ॐ आर्तरक्षकाय नमः।
- ॐ असमानबलाय नमः।
- ॐ करुणारससिन्धवे नमः।
- ॐ शरण्याय नमः।
- ॐ अरुणाय नमः।
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