
सूर्य देव जब कन्या राशि में प्रवेश करते हैं, तब कन्या संक्रांति मनाई जाती है. इसी दिन भगवान विश्वकर्मा की जयंती भी मनाई जाती है, जोकि बुधवरा, 17 सितंबर 2025 को है. विश्वकर्मा जयंती पर लोग अपने कार्यक्षेत्र से जुड़े उपकरणों और भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं.

हिंदू धर्म में भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का पहला शिल्पकार और वास्तुकार कहा जाता है. इन्हें निर्माण, वास्तुकला, शिल्पकार, यांत्रिकी और तनकीन कौशल का देवता माना जाता है. इसलिए विश्वकर्मा पूजा का दिन शिल्पकारों, इंजीनियरों, कारीगरों और तकनीकी क्षेत्र से जुड़े कार्यरत लोगों के लिए खास माना जाता है.

भगवान विश्वकर्मा ने स्वर्गलोक, पुष्पक विमान, द्वारका नगरी, सुदर्शन चक्र, पुष्पक विमान जैसे कई चीजों का निर्माण किया. उनके द्वारा निर्माण की गई चीजें सुंदर, टिकाऊ, कलात्मक और सुंदर थी. लोग अपने कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है और उन्नति के लिए भगवान विश्वकर्मा को अपना आराध्य देव मानकर पूजा करते हैं.

पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मा का मानस पुत्र और सृष्टि का पहरा वास्तुकार माना जाता है. भगवान विश्वकर्मा दिव्य निर्माणों के अधिपति हैं और इनकी गणना पंचदेवों में होती है.

विश्वकर्मा जयंती के दिन फैक्ट्रियों, कार्यशालाओं और उद्योगों में बढ़ई से लेकर सोनार, लोहार, मिस्त्री, शिल्पकार, मशीनरी कारीगर और कल-कारखानों में काम करने वाले लोग पूजा-अर्चा करते हैं.

परंपरा है कि विश्वकर्मा जयंती पर जो लोग अपने औजारों, मशीनों और कार्यस्थल की साफ-सफाई कर भगवान विश्वकर्मा की विधिवत पूजा करते हैं, उन्हें काम में सफलता मिलती है.
Published at : 16 Sep 2025 09:47 AM (IST)
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