अगर आप फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब के लिए कंटेट क्रिएट करते हैं और इसमें AI की मदद लेते हैं तो आपके लिए बड़ी खबर है. एक संसदीय समिति ने AI की मदद से कंटेट क्रिएट करने वालों के लिए नए नियमों का सुझाव दिया है. इनमें से दो बड़े सुझाव लाइसेंस की जरूरत और AI-जनरेटेड वीडियो और आर्टिकल पर प्रॉपर लेबलिंग को लेकर है. इन सुझावों का मुख्य लक्ष्य AI टूल्स की मदद से बनाकर फैलाई जा रही फेक न्यूज को रोकना है. आइए, इस बारे में विस्तार से जानते हैं.
AI का लेबल लगाना जरूरी करने का सुझाव
कम्युनिकेशन एंड इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी पर बनी स्टैंडिंग कमेटी ने अपनी यह रिपोर्ट लोकसभा स्पीकर को सौंप दी है. रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि AI के जरिए फेक न्यूज फैलाने वाले लोगों और कंपनियों की पहचान और उन पर मुकदमा चलाने के लिए कड़े टेक्नोलॉजिकल और लीगल रूल्स की जरूरत है. समिति ने कहा कि कंपनियों और लोगों द्वारा फैलाई जा रही फेक न्यूज से कानून-व्यवस्था को तो खतरा है ही, यह लोगों को भी भ्रमित करती है. इससे बचाव के लिए AI से कंटेट बनाने वाले क्रिएटर के लिए लाइसेंस की अनिवार्यता और AI से बने कंटेट पर लेबल लगाना जरूरी कर दिया जानाचाहिए. इससे लोगों को AI से बने वीडियो, फोटो और दूसरे कंटेट को पहचानने में आसानी होगी.
क्रिएटर्स पर क्या असर?
समिति ने अभी सरकार को अपनी सिफारिशें भेजी हैं कि फेक न्यूज पर पाबंदी लगाने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं. इन सुझावों ने अभी तक कानून का रूप नहीं लिया है. क्रिएटर्स पर असर की बात करें तो अगर इन सुझावों को कानून में शामिल किया जाता है तो उन्हें AI से बने कंटेट पर लेबल लगाना होगा कि यह AI-जनरेटेड कंटेट है. इससे लोगों के लिए पहचान करना आसान हो जाएगा और वो AI-जनरेटेड गलत सूचनाओं के झांसे में नहीं आएंगे.
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