बेंगलुरु के वाल्मीकि कॉर्पोरेशन घोटाला मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने सोमवार (15 सितंबर, 2025) को कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में 16 जगहों पर छापेमारी की. आरोप है कि कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि शेड्यूल्ड ट्राइब्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (KMVSTDCL) के सरकारी अकाउंट से करोड़ों रुपये निजी लोगों के खातों में ट्रांसफर किए गए. ये अकाउंट यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एमजी रोड ब्रांच, बेंगलुरु में था.
दरअसल, 3 जून 2024 को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के डीजीएम की शिकायत पर सीबीआई ने केस दर्ज किया था. आरोप था कि 21 फरवरी, 2024 से 6 मई, 2024 के बीच करीब 84.63 करोड़ रुपये की हेराफेरी हुई. ये पैसा फर्जी ट्रांसफर और नकली दस्तावेजों के जरिए निकाला गया.
CBI ने हाई कोर्ट में पेश की चार स्टेटस रिपोर्ट
वहीं, इसी मामले में 16 नवंबर, 2024 को कर्नाटक के विधायक बसनगौड़ा आर. पाटिल ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. उन्होंने मांग की थी कि सीबीआई कोर्ट में फाइनल रिपोर्ट दाखिल करे और जांच की स्थिति पर बीच-बीच में अपडेट देती रहे. तब से कर्नाटक हाई कोर्ट इस केस की मॉनिटरिंग कर रहा है. अब तक सीबीआई हाई कोर्ट में 4 स्टेटस रिपोर्ट पेश कर चुकी है.
कर्नाटक के जनजाति कल्याण मंत्री के करीबी लोगों के अकाउंटों में गए पैसे
जांच के दौरान यह भी पता चला कि अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग और कर्नाटक जर्मन टेक्निकल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के पैसे भी हड़पे गए. एसटी वेलफेयर डिपार्टमेंट का पैसा- करीब 2.17 करोड़ रुपये बैंक ऑफ बड़ौदा, सिद्दैया रोड ब्रांच के अकाउंट से निकाला गया. ये पैसा पहले कुछ कंपनियों के जरिए घुमाया गया और फिर धनलक्ष्मी एंटरप्राइजेज के अकाउंट में पहुंचा. ये कंपनी बी. नागेंद्र के करीबी सहयोगी नेक्कांटी नागराज की है. इसके बाद लगभग 1.20 करोड़ रुपये बी. नागेंद्र की बहन, बहनोई और पर्सनल असिस्टेंट के अकाउंट्स में भेजे गए.
इसके अलावा, KGTTI के करीब 64 लाख रुपये कैनरा बैंक, विल्सन गार्डन ब्रांच के अकाउंट से भी निकाले गए. ये पैसा कई ट्रस्ट और फर्जी कंपनियों के जरिए घुमाकर आखिरकार नागराज के भाई एन. रविकुमार और भांजे एन. यशवंत चौधरी तक पहुंचा. इन दोनों विभागों की जिम्मेदारी उस समय कर्नाटक के जनजाति कल्याण मंत्री बी. नागेंद्र के पास थी. जांच में साफ हुआ है कि पैसे सीधे या परोक्ष रूप से उनके करीबी रिश्तेदारों और सहयोगियों के अकाउंट में पहुंचे.
स्टेटस रिपोर्ट देखकर कोर्ट ने सीबीआई को दिए जांच के आदेश
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की स्टेटस रिपोर्ट देखने के बाद हाई कोर्ट ने एजेंसी को इन नए आरोपों की भी जांच करने की अनुमति दी है. अब सीबीआई ये पता लगाने में जुटी है कि आखिर इतने बड़े पैमाने पर सरकारी फंड की हेराफेरी कैसे हुई और इसमें कौन-कौन शामिल थे.
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