पंचमुखी हनुमान जी की पूजा कब करें? जानें सही समय, विधि और लाभ

पंचमुखी हनुमान जी (Panchmukhi Hanuman Ji) की पूजा मंगलवार और शनिवार को, कृष्ण पक्ष चतुर्दशी, अमावस्या तथा ग्रहण काल में करनी चाहिए. यह पूजा शत्रु नाश, भूत-प्रेत बाधा, आर्थिक संकट और ग्रह दोष निवारण के लिए अत्यंत प्रभावी है. विशेष रूप से पंचमुखी हनुमान कवच का पाठ करने से व्यक्ति को भय और विघ्न से मुक्ति मिलती है.

हिंदू धर्म (Hindu Dharam) में हनुमान जी को संकटमोचक, अष्टसिद्धि और नव निधि प्रदान करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है. सामान्यतः मंगलवार और शनिवार को भक्त हनुमान जी की आराधना करते हैं, लेकिन जब पंचमुखी (Panchmukhi) स्वरूप की बात आती है तो यह पूजा और भी विशेष हो जाती है. पंचमुखी हनुमान जी (Hanuman Ji) का स्वरूप ही शत्रु विनाशक, भूत-प्रेत बाधा नाशक और भय से मुक्ति देने वाला है.

पंचमुखी हनुमान जी का स्वरूप

पंचमुखी हनुमान जी के पांच मुख अलग-अलग दिशाओं और शक्तियों के प्रतीक हैं-

  1. पूर्व दिशा (वानर मुख) – बल, पराक्रम और विजय का प्रतीक.
  2. दक्षिण दिशा (नरसिंह मुख) – शत्रु और भय का विनाशक.
  3. पश्चिम दिशा (गरुड़ मुख) – विष, सर्प और रोग से रक्षा.
  4. उत्तर दिशा (वराह मुख) – स्थायी संपत्ति और परिवार की रक्षा.
  5. ऊर्ध्व दिशा (हयग्रीव मुख) – ज्ञान, बुद्धि और विद्या प्रदाता.

शास्त्रों में वर्णित है कि पञ्चमुखो हनुमानः सर्वदुःखनिवारणः.अर्थात पंचमुखी हनुमान जी की आराधना से व्यक्ति को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है.

पूजा का श्रेष्ठ समय (Puja Time)

1. साप्ताहिक आधार

मंगलवार और शनिवार को पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करना सर्वश्रेष्ठ है. मंगलवार को पूजा से आत्मबल, साहस और शत्रु पर विजय मिलती है. शनिवार को पूजा करने से शनि दोष, पितृदोष और राहु-केतु की पीड़ा शांत होती है.

2. पंचांग आधारित दिन

कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि पंचमुखी हनुमान साधना के लिए श्रेष्ठ है. अमावस्या की रात को पंचमुखी हनुमान कवच का पाठ विशेष फलदायी माना गया है. ग्रहण काल (सूर्य या चंद्र ग्रहण) में पंचमुखी हनुमान मंत्र जप करने से अकाल मृत्यु और तांत्रिक बाधाओं से मुक्ति मिलती है.

3. व्यक्तिगत परिस्थिति

जब व्यक्ति लगातार विफलताओं का सामना कर रहा हो. घर में झगड़े, नजर दोष या नकारात्मक ऊर्जा का असर हो. कोर्ट केस, कर्ज या शत्रु बाधा जीवन में परेशानी ला रही हो. बार-बार भय, बुरे सपने या मानसिक तनाव बना रहता हो.

पूजा की विधि (Puja Vidhi)

  • स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और दक्षिणमुखी होकर बैठें.
  • पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक और धूप जलाएं.
  • चंदन, रोली, सिंदूर और चमेली के तेल से पूजा करें.
  • लाल फूल और गुड़-चना का भोग अर्पित करें.
  • हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और विशेष रूप से पंचमुखी हनुमान कवच का पाठ करें.
  • पूजा के बाद शत्रु निवारण और भय मुक्ति की प्रार्थना करें.

पंचमुखी हनुमान पूजा के लाभ (Puja Labh)

  • शत्रु नाश- न्यायालय में विजय और राजनीति, व्यापार में सफलता.
  • भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति – मानसिक शांति और भय का अंत.
  • धन और संपत्ति – स्थायी सुख, समृद्धि और परिवारिक स्थिरता.
  • विद्या और करियर – पढ़ाई, प्रतियोगिता और नौकरी में सफलता.
  • ग्रह दोष निवारण – विशेषकर शनि, राहु, केतु और मंगल दोष कम होते हैं.

आधुनिक जीवन में महत्व

आज के समय में पंचमुखी हनुमान जी की पूजा केवल आध्यात्मिक ही नहीं बल्कि व्यावहारिक दृष्टि से भी सहायक है. विद्यार्थी प्रतियोगिता में सफल होते हैं. कॉर्पोरेट जगत में कार्यस्थल पर शत्रु बाधा और नकारात्मकता से बचाव होता है. व्यापारी धोखाधड़ी, चोरी और घाटे से सुरक्षित रहते हैं. गृहस्थ जीवन में शांति और प्रेम बना रहता है.

पंचमुखी हनुमान जी की पूजा प्रत्येक व्यक्ति को करनी चाहिए जो अपने जीवन में सुरक्षा, साहस और सफलता चाहता है. यह पूजा हर परिस्थिति में बल और आत्मविश्वास प्रदान करती है. इसका श्रेष्ठ समय मंगलवार, शनिवार, चतुर्दशी, अमावस्या और ग्रहण काल माना गया है, साथ ही पूजा विधि में पंचमुखी हनुमान कवच का पाठ अनिवार्य है.

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