Sushila Karki Husband Story: नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की पर आज पूरी दुनिया की नजर है. सुशीला नेपाल सुप्रीम कोर्ट को पूर्व न्यायाधीश हैं और वे सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश बनने वाली नेपाल की पहली महिला हैं. साथ ही वे नेपाल की प्रधानमंत्री बनने वाली पहली महिला हैं. सुशीला ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में बने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से उच्च शिक्षा हासिल की है. सुशीला कार्की के बारे में आज कई चीजें दुनिया जानत हैं, लेकिन क्या आप उनके पति के बारे में जानते हैं? जिन्होंने आज से 52 साल पहले एक प्लेन हाईजैक किया था और उन्हें 2 साल की जेल की सजा हुई थी.
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जून 1973 में हाईजैक किया था प्लेन
बता दें कि आज से 52 साल पहले 10 जून 1973 को दुर्गा प्रसाद सुबेदी ने विराटनगर से काठमांडू जा रहे रॉयल नेपाल एयरलाइंस के विमान को हाईजैक किया था. उस समय दुर्गा प्रसाद नेपाली कांग्रेस के सदस्य थे. उन्होंने 2 अन्य सदस्यों नागेंद्र धुंगेल और बसंत भट्टाराई के साथ मिलकर कनाडा मेड19 सीटों वाले ट्विन ओटर प्लेन को हाईजैक किया था.
नेपाल में उस समय देश के इतिहास का पहला प्लेन हाईजैक कांड हुआ था और प्लेन में कुल 22 यात्री सवार थे, जिनमें नेपाल के मशहूर एक्टर सीपी लोहानी और उनकी पत्नी के साथ भारतीय सिनेमा की उस समय की मशहूर अदाकारा माला सिन्हा भी शामिल थीं. प्लेन हाईजैक की साजिश गिरिजा प्रसाद कोईराला ने रची थी, जो आगे चलकर देश के प्रधानमंत्री भी बने थे, लेकिन सजा दुर्गा प्रसाद, नागेंद्र और बसंत को मिली थी.
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सरकारी पैसा लूटने को किया हाईजैक
दुर्गा प्रसाद ने पुलिस को बताया कि प्लेन हाईजैक करने के मकसद खून खराबा या प्लेन को क्रैश करना नहीं था, बल्कि 30 लाख से ज्यादा के सरकारी पैसे को लूटना था, जो विराटनगर के बैंकों से काठमांडू ले जाया जा रहा था. इस सरकारी पैसे से नेपाली कांग्रेस राजा महेंद्र की राजशाही के खिलाफ चल रहे आंदोलन को और मजबूती प्रदान करती, लेकिन क्रू मेंबर्स तीनों हाईजैकर्स से भिड़ गए थे. इसलिए प्लेन को बिहार के फारबिसगंज में घास वाले मैदान में उतारा गया था.
सुशील कोइराला समेत अन्य लोग वहां हाईजैकर्स का इंतजार कर रहे थे. सभी ने मिलकर प्लेन से पैसों से भरे 3 ट्रंक उतारे और लेकर फरार हो गए थे. सड़क मार्ग से होते हुए भी कैश लेकर पश्चिम बंगाल गए और दार्जिलिंग में छिपे. पुलिस ने मामले की जांच करते हुए तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया. एक साल चली जांच और कार्रवाई के बाद तीनों को 2-2 साल की जेल की सजा हुई. 1975 में इमरजेंसी के दौरान तीनों को रिहा कर दिया गया था.
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