सुप्रीम कोर्ट में उठा कभी चुनाव न लड़ कर करोड़ों का चंदा लेने वाली पार्टियों का मामला, रजिस्ट्रेशन के नियम तय करने की मांग पर जारी हुआ नोटिस

राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन और नियमन का पैमाना तय करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने कहा है कि उसे इस मामले में राजनीतिक दलों को भी सुनना होगा इसलिए, याचिकाकर्ता उन्हें भी पक्ष बनाए.

याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दलों के लिए कोई नियम-कानून नहीं हैं इसलिए, कई ऐसी पार्टियां बनती हैं जो कभी चुनाव नहीं लड़तीं. ऐसी पार्टियां चंदा इकट्ठा करने, काले धन को सफेद करने, धौंस जमाने जैसी बातों के लिए इस्तेमाल होती हैं. आपराधिक और अलगाववादी इतिहास वाले लोग भी बेरोकटोक पार्टी बना लेते हैं.

याचिका में क्या कहा गया है?
वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका में इस साल कुछ राजनीतिक पार्टियों पर आयकर विभाग की छापेमारी को आधार बनाया गया है. 13 जुलाई को पड़े छापे में ‘इंडियन सोशल पार्टी’ और ‘युवा भारत आत्मनिर्भर दल’ नाम के दो राजनीतिक दलों के पास से 500 करोड़ रुपये का काला धन मिला था. उसी तरह 12 अगस्त को, एक और फर्जी राजनीतिक पार्टी, ‘नेशनल सर्व समाज पार्टी’, का पता चला जिसने 271 करोड़ रुपये की राशि जमा की थी. यह पार्टियां हवाला के जरिए नकदी में दान लेती थीं. उसके बाद 20 प्रतिशत कमीशन काटकर चेक से दानदाताओं को पैसा लौटाती थीं.

याचिका में कहा गया है कि ऐसी फर्जी पार्टियों की देश में भरमार है. उनमें अपराधी तत्व भी पदाधिकारी बन जाते हैं. उस दर्जे का फायदा उठा कर कई बार पुलिस सुरक्षा, रियायती दर पर जमीन या आवास समेत दूसरी सुविधाएं भी हासिल कर लेते हैं. ऐसी समस्याओं को दूर करने के लिए पूर्व CJI एम.एन. वेंकटचलैया की अध्यक्षता वाली कमेटी ने 2011 में ‘द पॉलिटिकल पार्टीज (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन ऑफ अफेयर्स) बिल का मसौदा तैयार किया था, लेकिन किसी सरकार ने उस पर विचार नहीं किया.

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