प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार और गुरुवार (3-4 सितंबर, 2025) को छत्तीसगढ़ में बड़ा एक्शन किया है. इन दो दिनों में ईडी ने पूरे राज्य में 28 जगहों पर छापेमारी की. ये छापे जिला खनिज न्यास ट्रस्ट (DMFT) घोटाले से जुड़े ठिकानों पर डाले गए. इसमें कॉन्ट्रैक्टर्स, वेंडर्स और उनके बिचौलियों के घर और दफ्तर शामिल थे, जो छत्तीसगढ़ राज्य बीज और कृषि विकास निगम से जुड़े हुए थे. ईडी की इस छापेमारी में 4 करोड़ रुपये कैश, 10 किलो सिल्वर बुलियन और कई अहम दस्तावेज व डिजिटल डिवाइस बरामद किए गए है.
ईडी की जांच में क्या हुआ खुलासा?
ईडी ने जांच की शुरुआत उन FIRs के आधार पर की, जो छत्तीसगढ़ पुलिस ने दर्ज की थी. आरोप है कि सरकारी अफसरों ने कुछ कॉन्ट्रैक्टर्स और बिचौलियों के साथ मिलकर DMFT के फंड का गलत इस्तेमाल किया. दरअसल, DMFT ट्रस्ट खनन करने वाली कंपनियों से मिलने वाले पैसे से चलता है. इसका मकसद उन लोगों की मदद करना है, जो खनन प्रोजेक्ट से प्रभावित होते है. लेकिन, जांच में सामने आया कि अफसरों और कॉन्ट्रैक्टर्स ने इस पैसे को हड़पने का प्लान बनाया.
350 करोड़ रुपये के DMFT फंड में की हेरफेर
ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि करीब 350 करोड़ रुपये के DMFT फंड का दुरुपयोग बीज निगम के जरिए किया गया. बीज निगम के नाम पर कॉन्ट्रैक्टर्स को एग्रीकल्चर उपकरण, मिनी दाल मिल, सीड्स, पल्वराइजर की सप्लाई के काम दिए गए. लेकिन इन कॉन्ट्रैक्ट्स की असली कीमत का 60 परसेंट तक कमीशन/घूस के तौर पर वसूला गया, जो बिचौलियों के जरिए सरकारी अफसरों तक पहुंचता था.
21.47 करोड़ की संपति अटैच और तीन अफसर की पहले हो चुकी है गिरफ्तारी
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इससे पहले भी इस केस में 21.47 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी अटैच की थी. इतना ही नहीं, इस मामले में एक चार्जशीट भी दाखिल की गई है. जिसमें 16 लोगों को आरोपी बनाया गया है. अब तक इस केस में IAS अफसर रानू साहू, राज्य सेवा की अधिकारी माया वेरियर और मनोज कुमार द्विवेदी को गिरफ्तार किया जा चुका है. ईडी का कहना है कि इस घोटाले की जांच अभी जारी है और आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे हो सकते है.
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