Market views: आगे बाजार की चाल मिलीजुली रहने की उम्मीद, 25000 से ऊपर जाने पर निफ्टी में 25200 का स्तर मुमकिन – market views movement is expected to be mixed in the future nifty may reach 25200 level if it crosses 25000

Market trend : 5 सितंबर के वोलेटाइल कारोबारी सत्र में भारतीय बेंचमार्क इंडेक्स सपाट बंद हुए। कारोबारी सत्र के अंत में सेंसेक्स 7.25 अंक या 0.01 प्रतिशत गिरकर 80,710.76 पर और निफ्टी 6.70 अंक या 0.03 प्रतिशत बढ़कर 24,741 पर बंद हुआ। वीकली बेसिस पर देखें तो बाजार ने पिछले हफ्ते के अधिकांश नुकसान की भरपाई कर ली। सेंसेक्स और निफ्टी 1 फीसदी से ज्यादा की बढ़त लेकर बंद हुए। मिडकैप इंडेक्स 2 फीसदी से ज्यादा और निफ्टी बैंक लगभग 1 फीसदी बढ़ा। IT को छोड़कर सभी सेक्टोरल इंडेक्सों में बढ़त देखने को मिली। इस हफ्ते मेटल और ऑटो इंडेक्सों में सबसे ज्यादा बढ़त रही।

ऐसे बाजार की आगे की चाल पर बात करते हुए जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा कि भारतीय शेयर बाज़ारों ने 5 सितंबर को बीते हफ़्ते की शुरुआत मज़बूती के साथ की,लेकिन धीरे-धीरे उनकी गति धीमी पड़ गई। जीएसटी सुधार को लेकर दिखे उत्साह के कम होने और ग्लोबल ट्रेड में फिर से तनाव उभरने के कारण शेयर बाज़ारों में गिरावट आई। आर्थिक अनिश्चितता, ऊंची ब्याज दरों और भू-राजनीतिक जोखिमों के कारण शौकिया खर्च में कमी की चिंताओं के बीच आईटी सेक्टर को सबसे ज़्यादा दबाव का सामना करना पड़ा। इसके विपरीत, जीएसटी में कटौती से घरेलू खपत में तेज़ी और मांग में सुधार की उम्मीदों के चलते ऑटो और एफएमसीजी जैसे खपत वाले शेयरों में तेज़ी देखने को मिली।

उन्होंने आगे कहा कि ग्लोबल बॉन्ड बाज़ारों ने सतर्कता का माहौल बना दिया है। यूरोज़ोन में बढ़ते कर्ज़ और राजकोषीय असंतुलन के चलते जर्मनी और फ़्रांस के 30-वर्षीय बॉन्ड यील्ड दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। घरेलू बाजार की बात करें विदेशी निवेशकों की तरफ से हो रही लगातार निकासी ने रुपये पर दबाव बनाया है। रुपया अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। इस बीच, सुरक्षित निवेश की मांग ने सोने की कीमतों को ऑलटाइम हाई पर पहुंचा दिया है।

विनोद नायर की राय है कि आगे बाजार की चाल मिलीजुली रहने की संभावना है। घरेलू ग्रोथ से जुड़े सेक्टरों को जीएसटी सुधार, उपभोग स्तर में बढ़त और बढ़ते सरकारी खर्च से फायगा होगा। जबकि, ग्लोबल ट्रेड वार्ताओं को लेकर बनी अनिश्चितता बाजार में जोखिम उठाने की क्षमता सीमित हो रही है। इस माहौल में मल्टी असेट निवेश रणनीति के ज़ोर पकड़ने की उम्मीद है। बाजार का फोकस आने वाले अमेरिकी रोज़गार रिपोर्ट पर बना हुआ है। यह एक ऐसा अहम मैक्रो इंडीकेटर है जिसके यूएस फेड की ब्याज दरों पर नीति का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसके अलावा,आने वाले सप्ताह में निवेशकों की नजर अमेरिकी नान-फॉर्म पेरोल, बेरोज़गारी और महंगाई के आंकड़ों के साथ ही ईसीबी के ब्याज दरों के फैसले सहित अहम मैक्रो-इंडीकेटरों पर भी रहेगी।

कोटक सिक्योरिटीज के वीपी टेक्निकल रिसर्च अमोल अठावले का कहना है कि तकनीकी रूप से देखें तो 24,500/80400 का लेवल शॉर्ट टर्म ट्रेडरों के लिए एक मज़बूत सपोर्ट जोन बना हुआ है। जब तक बाजार इस स्तर से ऊपर कारोबार करता रहेगा, तब तक तेजी का रुख बना रहेगा। ऊपरी स्तर पर, 50-डे SMA या 25,000/82000 का लेवल ट्रेडरों के लिए एक अहम रेजिस्टेंस जोन के रूप में काम करेगा। 25,000/82000 से ऊपर एक सफल ब्रेकआउट बाजार को 25,200/82600 की ओर ले सकता है।

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