अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रक्षा विभाग (मंत्रालय) का नाम बदलकर डिपार्टमेंट ऑफ वॉर (डीओडब्लू) यानी युद्ध विभाग कर दिया है. अमेरिका के रक्षा सचिव (मंत्री) को भी अब वॉर सेक्रेटरी के नाम से जाने जाएगा. इस नाम बदलने के पीछे ट्रंप ने तर्क दिया है कि दुनिया को अब अमेरिका की ‘ताकत और दृढ़-निश्चय’ दिखाई देगा.
शुक्रवार (05 सितंबर, 2025) को ट्रंप ने नया आदेश जारी किया और इसके साथ ही पेंटागन (रक्षा विभाग के मुख्यालय) पर लगा डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस का साइन बोर्ड हटा दिया गया. उसकी जगह ‘डिपार्टमेंट ऑफ वॉर’ का नाम लिख दिया गया. अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने भी अपने ऑफिस के बाहर लगी पट्टी पर ‘सेक्रेटरी ऑफ वॉर’ लिख दिया.
‘डिपार्टमेंट ऑफ वॉर’को लेकर क्या बोले अमेरिकी राष्ट्रपति?
द्वितीय विश्वयुद्ध खत्म होने के दो साल बाद यानी 1947 में अमेरिका ने युद्ध विभाग का नाम बदलकर रक्षा विभाग कर दिया था. इससे पहले 1789 में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन ने युद्ध और नेवी विभाग से जुड़े मुद्दों की जिम्मेदारी उठाने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ वॉर की स्थापना की थी.
शुक्रवार को अपने आदेश में ट्रंप ने 236 साल पहले लिए गए निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि इस नाम (वॉर डिपार्टमेंट) के साथ ही अमेरिका ने 1812, प्रथम विश्वयुद्ध और द्वितीय विश्वयुद्ध (1940-45) में विजय हासिल की थी.
अमेरिका ने क्यों बदला नाम?
अमेरिका ने हालांकि, खाड़ी युद्ध (1991) में इराक पर जीत हासिल की थी, लेकिन वियतनाम वॉर (60-70 के दशक) और अफगानिस्तान (2001-21) में निर्णायक जीत हासिल नहीं हुई थी. रूस-यूक्रेन जंग से अमेरिका की सैन्य कमजोरी खुलकर सामने आई है. यही वजह है कि ट्रंप ने नाम बदलकर अमेरिका को एक बार फिर सही मायने में दुनिया की मिलिट्री सुपरपावर के तौर पर प्रदर्शित करने का ऐलान किया.
ट्रंप के मुताबिक, ‘युद्ध विभाग नाम, वर्तमान रक्षा विभाग से कहीं ज़्यादा, शक्ति के माध्यम से शांति सुनिश्चित करता है, क्योंकि यह हमारे राष्ट्र की रक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि पल भर में युद्ध लड़ने और जीतने की हमारी क्षमता और इच्छाशक्ति को दर्शाता है.’
‘ताकत से ही होगी शांति स्थापित’
अमेरिकी राष्ट्रपति के मुताबिक, ‘नया नाम (वॉर डिपार्टमेंट) हमारे अपने राष्ट्रीय हित पर ध्यान केंद्रित करने और अपने हितों की रक्षा के लिए दुश्मनों के खिलाफ युद्ध छेड़ने की हमारी इच्छा और उपलब्धता पर ध्यान केंद्रित करने को भी ज्यादा स्पष्ट करता है.’
नाम बदलने पर पीट हेगसेथ ने भी कहा कि शांति के लिए युद्ध की तैयारियां करनी होगी, क्योंकि ताकत से ही शांति स्थापित की जा सकती है. अमेरिका की सभी 11 थिएटर कमांड, सैनिक, लड़ाकू विमान और युद्धपोत, डीओडब्लू के अधीन हैं.
अमेरिका के पास दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना
दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना (13 लाख सैनिक) के कारण अमेरिका को दुनिया की सबसे ताकतवर सेना माना जाता है. अमेरिका का रक्षा बजट करीब एक ट्रिलियन डॉलर (997 बिलियन डॉलर) है, जो दुनियाभर में हथियारों और सेनाओं पर खर्च होने का कुल 37 प्रतिशत था.
अमेरिका ने पूरी दुनिया को अपनी 11 थिएटर कमांड में बांट रखा है, जिनके पास करीब 1800 फाइटर जेट के साथ करीब 5000 मिलिट्री एयरक्राफ्ट और 300 से ज्यादा जंगी जहाज हैं. अमेरिका के जखीरे में 5000 से ज्यादा परमाणु हथियार हैं, जो लगभग रूस के बराबर हैं.
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