यश जौहर हिंदी सिनेमा के उन निर्माताओं में गिने जाते हैं जिन्होंने बॉलीवुड को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई. फिल्ममेकर भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में अपनी गहरी समझ उम्दा निर्माण मूल्यों और शानदार पारिवारिक फिल्मों के लिए मशहूर थे.
बतौर फिल्म फोटोग्राफर उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी. फिल्मों की दुनिया में उनका मन ऐसा बसा कि वे यहीं के होकर रह गए. यश जौहर ने अभिनेत्री मधुबाला की भी तस्वीरें क्लिक की थीं जो किसी को भी जल्दी अपनी फोटो खींचने नहीं देती थीं.
उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको फिल्ममेकर की जिंदगी का अनोखा किस्सा बताएंगे साथ ही उस किस्से से भी रूबरू करवाएंगे जब करण जौहर ने अनोखे अंदाज में अपने पिता को श्रद्धांजलि दी.
फिल्में फ्लॉप होने पर भावनात्मक रूप पर भी टूट जाते थे फिल्ममेकर
करण जौहर के पिता, यश जौहर ने अपनी पूरी जिंदगी सिनेमा को समर्पित कर दी. उनका मानना था कि फिल्में केवल कहानियां नहीं, बल्कि एक सपने का साकार होना हैं. यही वजह है कि जब उनकी फिल्में असफल होती थीं, तो वह न सिर्फ आर्थिक रूप से बल्कि भावनात्मक रूप से भी टूट जाते थे.
1990 में जब उनकी फिल्म ‘अग्निपथ’ रिलीज हुई और ये बुरी तरह फ्लॉप हो गई, तो वो बुरी तरह से टूट गए थे. इसका किस्सा उनके बेटे करण जौहर ने अपनी आत्मकथा ‘एन अनसूटेबल बॉय’ में शेयर किया था. करण जौहर ने बताया, जब ‘अग्निपथ’ बन रही थी तो यश जौहर और पूरी टीम को यकीन था कि यह एक ऐतिहासिक फिल्म साबित होगी.
शानदार कलाकारों, दमदार कहानी और बेहतरीन निर्देशन के साथ, उन्हें लगा कि उन्होंने एक मास्टरपीस बनाई है. फिल्म के प्रीमियर के बाद सबने इसकी तारीफ की, लेकिन जब यह रिलीज हुई तो बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप हो गई. इस असफलता ने यश जौहर का दिल तोड़ दिया. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि उनकी इतनी मेहनत और दूरदर्शिता के बावजूद यह फिल्म क्यों नहीं चली.
‘डुप्लिकेट’ और बाद में ‘अग्निपथ’ की असफलता ने उन्हें इंडस्ट्री में एक ‘असफल निर्माता’ की छवि दे दी. इस बात का दर्द उन्हें जीवन भर रहा. इसका दर्द उनके बेटे करण जौहर ने भी महसूस किया.इसलिए 2012 में अपने पिता के अधूरे सपने को पूरा करने और उन्हें वह सम्मान वापस दिलाने के लिए अग्निपथ का रीमेक बनाकर रिलीज किया था. ऋतिक रोशन-स्टारर ‘अग्निपथ’ सुपरहिट हुई, तो करण जौहर ने महसूस किया कि उन्होंने अपने पिता को वह सम्मान वापस दिला दिया है.
अब पापा की विरासत आगे बढ़ा रहे हैं करण जौहर
यश जौहर का जन्म 6 सितम्बर 1929 को हुआ था. अपने करियर की शुरुआत उन्होंने बतौर फोटोग्राफर की लेकिन बाद में फोटोग्राफी छोड़ यश जौहर ने कई फिल्मों के प्रोडक्शन का काम संभाला. देवानंद साहब के नवकेतन सिनेमा प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले यश ने कई फिल्मों के प्रोडक्शन का काम संभाला था
. बाद में अपने इसी अनुभव की बदौलत धर्मा प्रोडक्शंस जैसे बड़े प्रोडक्शन हाउस की स्थापना की. इसके तले उन्होंने ‘दोस्ताना’, ‘अग्निपथ’, ‘गुमराह’, ‘कुछ कुछ होता है’, और ‘कभी खुशी कभी गम’ जैसी फिल्मों का निर्माण किया. उनकी फिल्मों में रिश्तों की गर्माहट, भव्यता और भारतीय संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. आज भी यश जौहर को एक दूरदर्शी निर्माता और हिंदी सिनेमा के स्तंभ के रूप में याद किया जाता है.
करण ने अपने एक इंटरव्यू में कहा, ‘मेरे लिए यह फिल्म बनाना मेरे पापा के लिए न्याय करना था. 1990 में जो फिल्म फ्लॉप हुई थी, मैं उसे सफल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि देना चाहता था’. अब अपने पिता यश जौहर की धरोहर को करण जौहर बखूबी संभाल कर इस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं.
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