PM मोदी और ट्रंप के रिश्तों में क्यों आई है खटास? 6 प्वाइंट्स में समझें, वजह टैरिफ या कुछ और

PM Modi and Donald Trump relationship: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन की मानें तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच व्यक्तिगत तालमेल अब खत्म हो चुका है। उन्होंने चेतावनी दी कि ट्रंप के साथ व्यक्तिगत संबंध नेताओं को उनकी नीतियों से नहीं बचाते। एक जर्मन अखबार ने तो यहां तक लिखा था कि ट्रंप ने पीएम मोदी को चार बार फोन किए जो मोदी ने नहीं उठाए। वहीं, ट्रंप ने भी दिल्ली में प्रस्तावित अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की प्रस्तावित यात्रा को रद्द कर दिया। हालांकि बाद में रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ऐसा ट्रम्प के सार्वजनिक बयानों से संबंधित किसी भी संभावित “स्टंट” का हिस्सा बनने से बचने के लिए किया गया था। इसके पीछे की वजहों पर गौर करते हैं।

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वजह एक: ट्रेड डिस्प्यूट एंड टैरिफ

ट्रंप प्रशासन ने ट्रेड डिस्प्यूट का हवाला देते हुए एक अगस्त 2025 को भारत से आयात होने वाली वस्तुओं पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया। 6 दिन बाद अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान किया, जिसे पेनल्टी टैरिफ कहा गया। यह पेनल्टी टैरिफ इसलिए लगाया गया, क्योंकि रूस से तेल और रक्षा उपकरण खरीदने के कारण भारत से अमेरिका नाराज है। अमेरिका का कहना है कि रूस से तेल और हथियार खरीदकर भारत अप्रत्यक्ष रूप से रूस को फंडिंग कर रहा है और रूस उस आर्थिक मदद का इस्तेमाल यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए कर रहा है।

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वजह दो: रूसी तेल की भारतीय खरीद

अमेरिका ने एशिया और प्रशांत महाद्वीप में बसे अन्य देशों की तुलना में भारत पर कहीं ज्यादा टैरिफ लगाया,जबकि कई देश रूस से तेल खरीद रहे हैं, लेकिन अमेरिका ने उन पर अतिरिक्त टैरिफ नहीं लगाया। भारत ने इसे अमेरिका की रणनीति बताया। रूस पर यूक्रेन के साथ युद्धविराम करने के लिए दबाव डालने का तरीका बताया, क्योंकि भारत पर अमेरिका ज्यादा टैरिफ लगाएगा तो भारत रूस से तेल नहीं खरीदेगा और रूस दबाव में आकर युद्धविराम कर लेगा। ट्रंप अब यूरोपीय देशों पर भारत पर टैरिफ लगाने के लिए दबाव डाल रहे हैं। वे चाहते हैं कि यूरोपीय देश भी भारत पर टैरिफ और प्रतिबंध लगाए।

वजह तीन: ट्रंप के आगे नहीं झुकेगा भारत

प्रधानमंत्री मोदी टैरिफ लगने के बाद कई मौकों पर कह चुके हैं कि भारत न कभी झुका है और न ही झुकेगा। अमेरिका चाहे जितना मर्जी दबाव बना ले, लेकिन भारत हार नहीं मानेगा और टैरिफ से बचने का कोई न कोई रास्ता जरूर निकाल लेगा। अमेरिका ने रूस पर दबाव डालने के लिए भारत पर दबावा डाला है। केंद्र सरकार का फोकस आत्मनिर्भर भारत, नए और अलग-अलग बिजनेस पार्टनर्स और टैक्स सुधारों पर रहेगा, ताकि 50 प्रतिशत टैरिफ के प्रभाव को कम किया जा सके। भारतीय अर्थव्यवस्था टैरिफ जैसी चुनौती से उबरने में सक्षम है।

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वजह चार: रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारत का रुख

ट्रंप प्रशासन के कुछ सदस्य इस संघर्ष पर भारत के रुख की आलोचना करते रहे हैं। ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने मोदी को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बातचीत करते देखना “शर्मनाक” बताया। जो बाइडेन की सरकार में पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भारत पर 50% टैरिफ के डोनाल्ड ट्रंप के फैसले की आलोचना की है और कहा है कि ट्रंप द्वारा शुरू किया गया यह व्यापारिक टकराव भारत को चीन के और करीब ले गया है। अमेरिकी सहयोगी सहित दुनिया के कई देश अब अमेरिका को एक नष्ट करने वाले और अविश्वसनीय देश के रूप में देख रहे हैं।

वजह पांच: भारत ने नहीं स्वीकारी अमेरिका की मध्यस्थता

मई महीने में भारत-पाकिस्तान के बीच स्थिति तनावपूर्ण थी और हालात युद्ध जैसे हो गए थे, आतंकी हमले के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया था। ट्रंप अब तक कई बार यह कह चुके हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध उन्होंने ही रुकवाया है। मोदी ने इसे अस्वीकार करते हुए ट्रम्प से कहा कि युद्ध विराम भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत का प्रत्यक्ष परिणाम है और इसमें अमेरिका का कोई हस्तक्षेप नहीं है। ट्रम्प के दावे का समर्थन करने से इंकार करने तथा ट्रम्प के नोबेल पुरस्कार की चाहत को लेकर मोदी की सतर्कता के कारण उनके संबंधों में काफी खटास आ गई।

वजह छह: अमेरिकी सरकार के ट्रेड एडवाइजर की धमकी

अमेरिकी सरकार के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो पहले भी भारत सरकार को धमकी दे चुके हैं। इस बार उन्होंने पीएम मोदी की रूस-चीन नेताओं से मुलाकात को ‘शर्मनाक’ करार दिया है। पीटर नवारो ने कहा कि भारत को रूस नहीं अमेरिका की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय सरकार को मास्को से सस्ते दामों पर कच्चा तेल खरीदना बंद कर देना चाहिए। यह शर्मनाक है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग जैसे दो बड़े तानाशाही नेताओं के साथ नजदीकी दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे समझ नहीं आता कि पीएम मोदी क्या सोच रहे हैं?

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