नई दिल्ली। चीन के दम पर हमेंशा उड़ने वाला पाकिस्तान को अब चीन ने हाथ में कटोरा पकड़ा दिया है। पाकिस्तान के सबसे बड़ा प्रोजेक्ट सीपीईसी का एमएल- 1 अब बंद होने की कगार पर है। इस प्रोजेक्ट से अब चीन पीछे हट चुका है। अब पाकिस्तान हाथ में कटोरा लेकर एशियन डेवलपमेंट बैंक पहुंचा है। पाकिस्तान का यह प्रोजक्ट अब बैंक के हाथ में जाने वाला है। यह फैसला पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और विदेश नीति की अब नई दिशा तय करेगा।
पाकिस्तान का रेल नेटवर्क का आधुनिकीकरण अंतरराष्ट्रीय राजनीति का नया विषय बन गया है। एमएल- 1 के मेन लाइन-1 प्रोजेक्ट, जिसे कभी चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर का सबसे बड़ा और महत्वाकांक्षी हिस्सा बताया जाता था। यह प्रोजेक्ट अब एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) के हाथों में जा रहा है। चीन के पीछे हटने के बाद पाकिस्तान ने बैंक से कराची- रोहड़ी सेक्शन के आधुनिकीकरण के लिए दो अरब डॉलर का कर्ज मांगा है। पाकिस्तान हमेंशा चीन के साथ करीबी रिश्तों का दावा करता रहा है, लेकिन एमएल-1 प्रोजेक्ट में आए इस बदलाव ने दोनों देशों के बीच बदलते समीकरणों को उजागर कर दिया है। एक तरफ चीन अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी ताकत दिखा रहा है, वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान को अपने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अब नए साझेदारों की तलाश करनी पड़ रही है।
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2015 में हुई थी एमएल- 1 प्रोजेक्ट की शुरुआत
पाकिस्तान में चीन के साथ मिलकर 2015 में सीपीईसी के एमएल-1 प्रजेक्ट की शुरुआत की थी। चीन ने पाकिस्तान में ऊर्जा और परिवहन ढांचे पर करीब 60 अरब डॉलर निवेश करने का वादा किया था। इनमें कराची से पेशावर तक फैली 1,800 किलोमीटर लंबी एमएल-1 रेलवे लाइन का आधुनिकीकरण सबसे अहम हिस्सा था। लगभग एक दशक की बातचीत के बाद भी फंडिंग आगे नहीं बढ़ पाई। चीन के पीछे हटने की मुख्य वजह पाकिस्तान की कमजोर आर्थिक स्थिति और कर्ज चुकाने की क्षमता पर संदेह रहा। खासकर ऊर्जा क्षेत्र में चीनी कंपनियों के बकाया भुगतान ने भरोसा और घटा दिया।
चीन के पीछे हटने से पाकिस्तान को लगा तगड़ा झटका
चीन के पीछे हटने से पाकिस्तान को सिर्फ आर्थिक नहीं बल्कि भू-राजनीतिक झटका भी लगा है। दोनों देशों के बीच की दोस्ती अब कमजोर पड़ती दिख रही है। 2015 से 2019 तक पाकिस्तान में हाइवे, पावर प्लांट और पोर्ट जैसे कई प्रोजेक्ट बने। 2022 में ग्वादर ईस्ट बे एक्सप्रेसवे के बाद प्रगति रुक गई। अब एमएल-1 में एशियन डेवलपमेंट बैंक की भागीदारी पाकिस्तान के भविष्य की दिशा तय करेगी।
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