Teachers Day 2025: शिक्षा जीवन का अमूल्य धन है. शिक्षा रूपी धन के बिना कोई भी व्यक्ति जीवन में सफलता हासिल नहीं कर सकता है. शिक्षक वह है, जिसके बिना इस धन (शिक्षा) को हासिल भी नहीं किया जा सकता है. इसलिए शिक्षकों के सम्मान में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है.
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में जीवन के हर पहलू के बारे में बताया है. चाणक्य के अनुसार शिक्षा व्यक्ति के जीवन का अभिन्न अंग है. लेकिन शिक्षक वह है, जिससे ज्ञान अर्जित कर व्यक्ति सफलता की सीढ़ी चढ़ता है.
इसलिए शिक्षक का जीवन में अहम स्थान है. चाणक्य कहते हैं कि- पृथ्वी में ऐसी कोई चीज नहीं बनी है, जिससे शिक्षक का ऋण चुकाया जा सके. चाणक्य कुछ श्लोक के माध्यम से जीवन में विद्या और शिक्ष के महत्व को बताते हैं-
एकमेवाक्षरं यस्तु गुरुः शिष्यं प्रबोधयेत्।
पृथिव्यां नास्ति तद्द्रव्यं यद् दत्त्वा चाऽनृणी भवेत्।।
इस श्लोक के अनुसार, शिक्षक के रूप में एक अक्षर का ही ज्ञान क्यों न मिला हो. उनके ऋण से मुक्त होने के लिए इस पृथ्वी पर ऐसी कोई योग्य चीज अब तक नहीं.
सुखार्थी चेत् त्यजेद्विद्यां त्यजेद्विद्यां विद्यार्थी चेत् त्यजेत्सुखम्।
सुखार्थिनः कुतो विद्या कुतो विद्यार्थिनः सुखम् ।।
इस श्लोक का अर्थ है कि- जो विद्यार्थी सिर्फ सुख की इच्छा रखता है, उसे विद्या त्याग देनी चाहिए और जो विद्यार्थी विद्या ग्रहण करना चाहते हैं, उसे सुख के विषय में सोचना भी नहीं चाहिए.
रूपयौवनसंपन्ना विशाल कुलसम्भवाः।
विद्याहीना न शोभन्ते निर्गन्धा इव किंशुकाः।।
आचार्य के अनुसार, व्यक्ति कितना ही सुंदर क्यों ना हो, उसका संपन्न यौवन क्यों ना हो, वह उत्तम कुल में पैदा हुआ हो. लेकिन वह शिक्षित नहीं है और वह विद्याहीन है तो वह सुगंध रहित किंशुक फूल की तरह है, जो किसी भी रूप में शोभा नहीं देता.
विद्वान् प्रशस्यते लोके विद्वान् गच्छति गौरवम्।
विद्या लभते सर्वं विद्या सर्वत्र पूज्यते।।
श्लोक के अनुसार, विद्वान व्यक्ति संसार में खूब नाम कमाता है और गौरव प्राप्त करता है. सिर्फल विद्या से ही सब प्राप्त हो जाता है और सभी जगह विद्या की ही पूजा होती है.
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