देश से टूटा कश्मीर घाटी का संपर्क, NH और रेलवे मार्ग बंद, फंसीं 3500 से ज्यादा गाड़ियां

जम्मू कश्मीर को इस साल मानसून में भारी तबाही का सामना करना पड़ा है. बादल फटने और भूस्खलन के साथ कई प्राकृतिक आपदाएं एक के बाद एक आईं, जिसमें कई लोगों की जान चली गई है. हालात ये हैं कि अब कश्मीर घाटी से संपर्क तक टूट गया है. 

कश्मीर घाटी देश के बाकी हिस्सों से कट गई है, क्योंकि जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे सहित अन्य सड़कों के हिस्से भूस्खलन और बारिश के कारण बह गए हैं. इसकी वजह से उन्हें पर्ण रूप से बंद कर दिया गया है. 26 अगस्त से हाईवे और अन्य इंटर-स्टेट सड़कों के बंद होने के कारण 3,500 से ज्यादा गाड़ियां कठुआ से लेकर कश्मीर तक अलग-अळग जगहों पर फंस गई हैं. 

देश से टूटा कश्मीर घाटी का संपर्क, NH और रेलवे मार्ग बंद, फंसीं 3500 से ज्यादा गाड़ियां

जम्मू-राजौरी-पुंछ हाईवे गाड़ियों के लिए बंद
फंसी हुई गाड़ियों की आवाजाही के लिए सोमवार (1 सितंबर) को राजमार्ग आंशिक रूप से खोला गया था. इसके अलावा जम्मू-राजौरी-पुंछ हाईवे और बटोटे-डोडा-किश्तवार राजमार्ग सहित अन्य महत्वपूर्ण रास्ते भी भूस्खलन और सड़कों के बह जाने के चलते ट्रैफिक के लिए बंद हैं.

भूस्खलन में रेलवे की पटरियां धंसीं
जम्मू रेलवे मंडल में रेल यातायात बीते 9 दिनों से बंद है. 26 अगस्त को भारी बारिश और अचानक आई बाढ़ के बाद पठानकोट-जम्मू खंड में कई स्थानों पर पटरियां धंस गई थी. जम्मू क्षेत्र में लगातार बारिश के कारण खासतौर से तीर्थयात्री फंसे हुए हैं और रेल और सड़क यातायात बुरी तरह बाधित हुआ है. कटरा स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर के पास भूस्खलन की घटना में 34 लोगों की जान चली गई थी.

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सीएम उमर अब्दुल्ला ने जताई चिंता?
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने साल 2014 की बाढ़ के बाद इस बार फिर से हालात खराब होने के बीच पिछली सरकारों पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में बाढ़ रोकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई. पिछले 11 साल ‘बर्बाद’ हो गए. 

सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अगर झेलम नदी और उससे जुड़े नालों की सफाई की गई होती तो आज हालात अलग होते. हमें यह सवाल पूछना होगा कि कश्मीर में 2014 की बाढ़ के बाद क्या किया गया? जो लोग यहां शासन कर रहे थे, बाढ़ दोबारा न आए, यह सुनिश्चित के लिए उन्होंने कुछ नहीं किया.

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