इंडसइंड बैंक के पूर्व CFO ने सरकार से चेयरमैन को हटाने की मांग की, अकाउंटिंग खामियों को छिपाने का आरोप लगाया – indusind bank former cfo demands chairman removal alleging accounting irregularities and other serious charges

इंडसइंड बैंक हाल ही में नए विवादों में फंस गया है। इसके पूर्व चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) गोबिंद जैन ने बैंक पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने इंडसइंड बैंक के चेयरमैन सुनील मेहता पर बैंक में अकाउंटिंग अनियमितताओं को छिपाने का आरोप लगाया। जैन ने केंद्र सरकार से चेयरमैन को हटाने की मांग भी की है। वहीं, इंडसइंड बैंक ने हालांकि इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया है।

गोबिंद जैन ने PMO को लिखा पत्र

गोबिंद जैन के आरोपों के बारे में सबसे पहले इकोनॉमिक टाइम्स ने रिपोर्ट की थी। ये आरोप इंडसइंड बैंक द्वारा अपने डेरिवेटिव्स पोर्टफोलियो में लापरवाहियों को स्वीकार करने के कुछ महीनों बाद सामने आए हैं।

CNBC-TV18 से बातचीत में गोबिंद जैन ने कहा कि उन्होंने मजबूरन पिछले महीने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने दावा किया कि इंडसइंड बैंक उनके खिलाफ ‘झूठा मामला’ बनाने की कोशिश कर रहा है और जांच एजेंसियों के पास शिकायत दर्ज करने की कोशिश कर रहा है। अपने पत्र में उन्होंने केंद्र से अनुरोध किया कि चेयरमैन सुनील मेहता को निलंबित किया जाए और बैंक के मामलों की जांच कराई जाए।

‘मुझे निशाना बनाया जा रहा’

जैन ने कहा, ‘मैं अकेला व्यक्ति था जिसने अकाउंटिंग अनियमितताओं को उजागर किया। और अब वे मुझे निशाना बना रहे हैं। कह रहे हैं कि मुझे पता था और मैं इसे छिपा रहा था।’

पूर्व CFO ने यह भी कहा कि उन्होंने जनवरी में इस्तीफा दिया था, लेकिन बैंक द्वारा उन्हें औपचारिक रूप से मुक्त नहीं किया गया, जिससे वे कहीं और काम कर पाए। उन्होंने आरोप लगाया कि सुनील मेहता और उनके सहयोगियों ने ‘डर का माहौल’ बनाया और उन्हें निशाना बनाया।

लंबे समय से गड़बड़ियों का आरोप

जनवरी में CFO पद से इस्तीफा देने वाले जैन ने अपने PMO पत्र में कहा कि उन्होंने बैंक के ट्रेजरी ऑपरेशंस में गंभीर समस्याओं का पता लगाया। गोबिंद जैन ने आरोप लगाया कि बैंक ने इस मुद्दे के बारे में झूठ बोला है और उन्हें संदेह है कि ये अकाउंटिंग अनियमितताएं लगभग दस साल से जारी हैं। बैंक का दावा छह साल का है।

जैन ने बताया, ‘मुझे 2023 के अंत में शक हुआ और मैंने इसे आंतरिक रूप से उजागर किया। जब मैंने सबूत इकट्ठा करना शुरू किया, तब उन्होंने मुझे निशाना बनाना शुरू कर दिया।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे प्रधानमंत्री को लिखना पड़ा क्योंकि कोई और रास्ता नहीं था। मुझे भावनात्मक और वित्तीय रूप से निशाना बनाया जा रहा है।’

इंडसइंड बैंक का आरोपों पर जवाब

बैंक ने गुरुवार को बयान में कहा, ;बैंक बोर्ड चेयरमैन और अन्य के खिलाफ इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करता है। ये आरोप पूरी तरह निराधार हैं और कानून व जवाबदेही की प्रक्रिया को भटकाने का प्रयास हैं। बोर्ड ने आंतरिक और बाहरी स्वतंत्र विशेषज्ञों की जांच के आधार पर गंभीर अनियमितताओं, संदिग्ध धोखाधड़ी और कर्तव्य में चूक के मामलों को ठीक करने के लिए निर्णय लिए हैं। बैंक ने सभी खुलासे निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से किए हैं।’

बैंक ने यह भी कहा कि उसने मामले की सूचना नियामकों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को दी है और पूरी तरह से सहयोग कर रहा है। बैंक के मुताबिक, वह सभी जरूरी कदम उठा रहा है और उसे पूरा भरोसा है कि जवाबदेही कानून के अनुसार तय की जाएगी।

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क्या है इंडसइंड बैंक का पूरा मामला

इस पूरे विवाद की शुरुआत मार्च में हुई, जब इंडसइंड बैंक ने खुलासा किया कि डेरिवेटिव्स पोर्टफोलियो में अकाउंटिंग लापरवाही उसके नेट वर्थ के 2.35 प्रतिशत तक प्रभावित कर सकती है, जो दिसंबर 2024 तक थी। इस खुलासे के बाद स्टॉक एक ही दिन में 26 प्रतिशत गिर गया, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ।

इस संकट के बाद तत्कालीन CEO सुमंत कथपालिया और तत्कालीन उप-CEO अरुण खुराना ने अप्रैल में इस्तीफा दिया। पूर्व एक्सिस बैंक डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव आनंद को अब मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO नियुक्त किया गया है। वहीं, प्रगति गोंधलेकर को हाल ही में आंतरिक ऑडिट प्रमुख बनाया गया है, ताकि निवेशकों का भरोसा बहाल किया जा सके।

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