डिश वेज हो या नॉनवेज, बिना मसालों के बेस्वाद ही लगती है. यही वजह है कि देसी हो या विदेशी, भारतीय खाने का स्वाद हर किसी को ताउम्र याद रहता है. वह बार-बार भारत आकर इन मसालों की खुशबू और स्वाद से रूबरू होना चाहता है. क्या आप जानते हैं कि भारत कितने देशों को मसाला बेचता है और कैसे मसालों की दुनिया का महाराजा बना? अगर आपका जवाब न है तो आइए आपको इसकी जानकारी देते हैं.
कितने देशों को मसाले बेचता है भारत?
भारत दुनिया में मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है. यहां के मसाले अपनी खास सुगंध के लिए जाने जाते हैं. यही वजह है कि प्राचीन काल से ही भारत को मसालों की भूमि भी कहा जाता है. भारतीय मसाला बोर्ड (Spices Board of India) और व्यापार मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत का मसाला निर्यात 2022-23 में करीब 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था, जिसमें काली मिर्च, हल्दी, जीरा, इलायची, और लाल मिर्च जैसे मसाले प्रमुख रूप से निर्यात किए जाते हैं. गौर करने बात है कि भारत दुनिया के मसाला उत्पादन का 40 पर्सेंट से ज्यादा हिस्सा पैदा करता है और निर्यात में 9 फीसदी से ज्यादा का योगदान देता है. भारत से दुनिया के 200 से ज्यादा देशों को मसाले भेजे जाते हैं.
भारत में लगा मसालों का मेला
दुनियाभर में भारतीय मसालों की धूम को देखते हुए ग्रेटर नोएडा के एक्सपो सेंटर में 3 से 5 सितंबर 2025 तक स्पेशल मसाला एग्जिबिशिन लगाई गई है, जिसमें दूर-दूर के मसाला कारोबारी अपने-अपने प्रॉडक्ट लेकर आए हैं. इसमें भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत स्पाइसेस बोर्ड भारत ने भी शिरकत की है, जिसके बैनर तले आठ राज्यों के कारोबारियों ने यहां अपने उत्पाद पेश किए. बता दें कि यह एफआई इंडिया का 19वां और प्रोपैक इंडिया एक्सपो का 7वां संस्करण है, जिसमें खाद्य सामग्री, फूड प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और सप्लाई चेन से जुड़े कारोबारियों को जोड़ा गया.
कैसे मसालों का महाराजा बना भारत?
प्रदर्शनी के आयोजक इन्फॉर्मा मार्केट्स इन इंडिया के एमडी योगेश मुद्रस ने बताया कि भारत अब सिर्फ ‘मसालों की धरती’ नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया में सबसे बड़े स्पाइस एक्सपोर्टर के रूप में भी उभर रहा है. भारत दुनया के 200 से ज्यादा देशों को 60 से ज्यादा तरह के मसाले निर्यात करता है. इसी वजह से भारत को मसालों का महाराजा भी कहा जाता है. आंकड़ों पर गौर करें तो भारत 4.45 अरब डॉलर से ज्यादा के मसाले एक्सपोर्ट करता है.
किसानों को भी हो रहा फायदा
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. मीनाक्षी सिंह ने बताया कि मसालों के निर्यात से किसानों को भी खासा फायदा हो रहा है. उन्होंने बताया कि सीएसआईआर अपने 37 अनुसंधान और विकास प्रयोगशालाओं के माध्यम से इनोवेशन को बढ़ावा दे रहा है, जबकि एफएसएसएआई ने सुरक्षा जांच को अनिवार्य कर दिया है. यही वजह है कि भारत का जैविक खाद्य बाजार 2024 में 1917 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया. अनुमान है कि यह 2033 तक 10807 मिलियन अमेरिकी डॉलर का आंकड़ा छू लेगा.
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