अक्सर गॉसिप को लेकर कहा जाता है कि महिलाएं इसमें ज्यादा शामिल होती है, लेकिन यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, रिवरसाइड की एक नई रिसर्च ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया है. स्टडी के अनुसार गॉसिप चाहे वह सकारात्मक हो, नकारात्मक हो या सामान्य यह आदत महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों में भी समान रूप से पाई जाती है.
हर कोई करता है गॉसिप
रिसर्च में पाया गया है कि लगभग हर व्यक्ति रोजाना औसतन 52 मिनट गॉसिप में बिताता है. यानी यह कोई खराब आदत नहीं है बल्कि एक सामान्य मानवीय व्यवहार है. जिसके जरिए लोग जानकारी साझा करते हैं, रिश्ते बनाते हैं और अपने सामाजिक दायरे को समझते हैं.
क्या सच में महिलाएं ज्यादा गॉसिप करती है?
स्टडी के अनुसार, महिलाएं पुरुषों से थोड़ी ज्यादा गॉसिप करती है, लेकिन उनकी ज्यादातर बातचीत सूचनात्मक और सामान्य होती है न की नकारात्मक. इससे साफ है कि गॉसिप करना सिर्फ महिलाओं की आदत नहीं, बल्कि पुरुष भी इसमें बराबरी से शामिल है. रिसर्च में यह भी सामने आया कि युवा, बुजुर्गों की तुलना में ज्यादा नकारात्मक गॉसिप करते हैं. हालांकि, गॉसिप करने का कुल समय लगभग हर उम्र के लोगों में बराबर पाया गया है. उम्र बढ़ने के साथ ही लोग ज्यादा सकारात्मक गॉसिप करने लगते हैं.
पर्सनैलिटी से भी जुड़ी है गॉसिप की आदत
इस रिसर्च के अनुसार, यह भी सामने आया है कि एक्सट्रोवर्ट लोग इंट्रोवर्ट से ज्यादा गॉसिप करते हैं. गॉसिप करने से पढ़ाई और आर्थिक स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ता है. यह आदत पर्सनैलिटी और सामाजिक माहौल पर ज्यादा निर्भर करती है. रिसर्च में यह भी पाया गया है कि कई बार गॉसिप समाज में सकारात्मक बदलाव की वजह बनती हैं. इसके उदाहरण के लिए मी टू मोमेंट और स्पीक अप कल्चर ने लोगों को अपनी बात रखने का मंच दिया. वहीं ऑफिस में किसी की तारीफ जैसी सकारात्मक गॉसिप टीमवर्क और आत्मविश्वास को मजबूत करती है.
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