नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने जीएसटी पर बड़ा फैसला लिया है। जीएसटी में बदलाव करके आम लोगों को बड़ी राहत दी है। जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अब सिर्फ दो जीएसटी स्लैब 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत होंगे। अब जीएसटी स्लैब 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत को समाप्त कर दिया गया। जीएसटी स्लैब में बदलाव से जरूरत की बहुत सी चीजें सस्ती हो गईं हैं। नई दरें 22 सितंबर से लागू होंगी।
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जीएसटी दरों को लेकर विपक्ष लगातार भाजपा सरकार पर हमलावर है। आइए जानते हैं टैक्स दरों के बदलाव पर विपक्ष के किस नेता ने क्या कहा? इस मुद्दे पर आज कांग्रेस के कई बड़े नेता और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने अपनी-अपनी बात रखी। किसी ने इस फैसले को यू-टर्न बताया तो किसी ने इस पर ‘वन नेशन, नौ टैक्स’ का तंज कसा। बता दें, सरकार के नए फैसले के अनुसार अब टैक्स स्लैब को सीमित करके केवल 5% और 18% रखा गया है।
चिदंबरम बोले सरकार का यू टर्न
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने जीएसटी सुधार पर केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि सरकार ने आठ साल तक गलत रास्ता अपनाया और अब मजबूरी में यू-टर्न लिया है। चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस और कई अर्थशास्त्रियों ने शुरू से ही सरकार को चेताया था कि जीएसटी की संरचना और दरें गलत हैं, लेकिन सरकार ने अनसुना किया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह टैक्स शुरू से ही गुड एंड सिंपल टैक्स होना चाहिए था। उन्होंने इसे देर से उठाया गया कदम बताते हुए कहा कि अब जाकर सरकार को अपनी गलती का अहसास हुआ है।
जयराम रमेश ने पूछा कि क्या काउंसिल अब महज़ औपचारिकता बनकर रह गई?
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कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने जीएसटी सुधारों पर मोदी सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त के भाषण में ही दरों में कटौती की घोषणा कर दी थी, जबकि यह फैसला संवैधानिक निकाय जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद होना चाहिए था। रमेश ने पूछा कि क्या काउंसिल अब महज़ औपचारिकता बनकर रह गई है। कांग्रेस नेता ने कहा कि उनकी पार्टी लंबे समय से जीएसटी 2.0 की मांग करती रही है, जिसमें दरें कम हों, एमएसएमई पर बोझ घटे और टैक्स चोरी व गलत वर्गीकरण की समस्या खत्म हो।
2017 से ही कांग्रेस ने जीएसटी की खामियों की ओर ध्यान दिलाया था, लेकिन सरकार ने अनसुना किया
उन्होंने कहा कि 2017 से ही कांग्रेस ने जीएसटी की खामियों की ओर ध्यान दिलाया था, लेकिन सरकार ने अनसुना किया। रमेश ने कहा कि मौजूदा सुधारों से उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी, लेकिन असली जीएसटी 2.0 की प्रतीक्षा अब भी बाकी है। उन्होंने राज्यों के लिए मुआवजा पांच साल और बढ़ाने की मांग को भी अहम बताया। वहीं, जीएसटी परिषद ने 12 फीसदी और 18 फीसदी स्लैब को मिलाकर 5 फीसदी और 18 फीसदी की दो दरें तय की हैं।
प्रियांक खरगे, बोले- वन नेशन, नौ टैक्स
कांग्रेस नेता प्रियांक खरगे ने केंद्र के हालिया जीएसटी सुधारों को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने वर्षों से टैक्स दरें घटाने और ढांचा सरल बनाने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया। खरगे ने लिखा कि ‘वन नेशन, वन टैक्स’ की जगह ‘वन नेशन, नौ टैक्स’ लागू कर दिया गया।
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खरगे ने कहा कि कांग्रेस ने 2019 और 2024 के घोषणापत्रों में जीएसटी 2.0 का वादा किया था, ताकि किसानों, छोटे कारोबारियों और मध्यम वर्ग को राहत मिले। उन्होंने दावा किया कि कुल जीएसटी वसूली का दो-तिहाई बोझ गरीबों और मध्यम वर्ग पर पड़ता है, जबकि अरबपतियों से केवल 3% जीएसटी आता है। उन्होंने सवाल किया कि अब जब सरकार ने दरें घटा दी हैं, तो राज्यों को नुकसान की भरपाई कैसे की जाएगी।
ममता बनर्जी की पहल से हटा बीमा पर टैक्स : महुआ मोइत्रा
तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर जीएसटी हटाने के फैसले का श्रेय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दिया है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने दो अगस्त 2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर बीमा पर 18 फीसदी जीएसटी हटाने की मांग की थी। मोइत्रा ने लिखा कि केंद्र ने यह फैसला अंततः लिया है, जिससे बीमा अब शून्य टैक्स श्रेणी में आ गया है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह कदम अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के टैरिफ बढ़ोतरी के दबाव को देखते हुए उठाया गया है।
बता दें, जीएसटी परिषद की बैठक में यह भी तय हुआ कि कई जरूरी स्वास्थ्य उपकरण जैसे थर्मामीटर, ऑक्सीजन, डायग्नोस्टिक किट और चश्मों पर जीएसटी घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है। वहीं, रोजमर्रा की वस्तुएं जैसे तेल, शैंपू, पेस्ट और साबुन भी अब 18 फीसदी से घटकर 5 फीसदी टैक्स श्रेणी में आ गई हैं।
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